आपकी महानता इसमें नहीं कि आपके पास क्या है, बल्कि इसमें है कि आप दूसरों को क्या देते हैं। वैसे भी, जिस अनुपात में देंगे उसी अनुपात में वापस मिलेगा।
जरा सी देर के लिए घुप्प अंधेरा छा जाने से आप पर क्या बीतती है। कभी सोचें, जिन्हें जन्म से या किसी दुुुर्घटनावश आंशिक या पूरी तरह दिखना बंद हो जाए वे समूची जिंदगी कैसे गुुजार लेते हैं? दीगर बात है, कम दिखने या बिल्कुल न दिखने से जीवन की गुणवत्ता घटती है, आत्मविश्वास तथा मनोबल टूटता है, व्यक्ति परनिर्भर हो जाता है।
नेत्रहीनों के मसीहा: लुई ब्रायल
आंखें हैं तो जहां है। दृष्टि बाधितों की सर्वोच्च संस्था, विश्व अंध संघ की पहल पर 4 जनवरी का दिन प्रतिवर्ष विश्व ब्रायल दिवस बतौर मनाया जाता है। वर्ष 1809 में जन्मे फ्रांसिसी शिक्षक लुई ब्रायल अंधों के मसीहा बने। ब्रायल स्वयं तीन वर्ष की अल्पायु में एक दुर्घटनावश देखने में अक्षम हो गए थे और ऐसे व्यक्तियों की पीड़़ा समझते थे। ब्रायल लिपि में अक्षर प्लेन सतह पर अक्षर खुदे होते हैं और हाथ से टोह कर व्यक्ति पढ़ सकता है। ब्रायल की स्मृति में उनकी जन्मगांठ विश्व के अनेक सरकारी, गैरसरकारी और स्वैच्छिक संगठन विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए मनाई जाती है।
ब्रायल लिपि से न केवल दृष्टिबाधित पढ़ने में समर्थ होता है, वह संगीत को भी समझ सकता है। इसका कारण है, ब्रायल लिपि विश्व के अधिकांश संगीत यंत्रों के अनुकूल विकसित की गई है। उनकी मृत्युु के दो वर्ष बाद वर्ष 1854 में ब्रायल पद्वति समूचे फ्रांस में लोकप्रिय हो गई थी, और धीमे धीमे समस्त विश्व में अपनाई जाने लगी।
भारत: दृष्टिहीनों का गढ़
दृष्टिहीनता विकासशील देशों की प्रमुख स्वास्थ्य समस्याओं में एक है। दृष्टि सामर्थ्य के मामले में अपने देश का परिदृष्य विशेषकर चिंताजनक है। विश्व के नेत्रहीनों की 20 प्रतिशत जनसंख्या हमारे देश में है, इसके बाद चीन का स्थान है। बदतर यह कि पिछले 30 वर्षों में कम देख सकने वालों की संख्या, यानी जिन्हें नजदीक का नहीं दिखता, दुगुनी हो गई है। समय से समुचित इलाज न मिलने पर ऐसे व्यक्ति की ज्योति पूरी तरह खत्म हो सकती है। आयुु का दृष्टिदोष से सीधा नाता है।
डायबिटीज़ से जुड़े हैं तार
नेत्र ज्योति घटने या खत्म हो जाने के कुछ कारण डायबिटीज़ से जुड़़े हैः डायबिटिक रेटिनोपैथी, मोतियाबिंदु और ओपन एंगल ग्लूकोमा। रेटिनोपैथी में प्रकाश के प्रति संवेदी, आंख की पिछली सतह में स्थित ऊतक क्षतिग्रस्त होने लगते हैं। इसीलिए डायबिटीज़ के मरीजों को प्रतिवर्ष रेटिना जांच की सलाह दी जाती है। देश के 68 लाख व्यक्ति कम से कम एक आंख की कोर्नियल अंधता से पीड़ित हैं, दस लाख की दोनों आंखें अक्षम हैं।
देश में जीवन प्रत्याशा 70 वर्ष तक बढ़ जाने से डायबिटीज़़ सरीखी बीमारियां के मामले अधिक दर्ज किए गए। देश के 70 प्रतिशत नेत्रहीन 50 वर्ष से अधिक आयु के होते हैं। लगभग 16 मामलों में दृष्टिहीनता का कारण रेटिनोपैथी यानी डायबिटीज़ से रेटिना क्षतिग्रस्त होना है। ताजा आंकड़ों बताते हैं कि संप्रति 13 करोड़ भारतीय नजदीकी चीजों पर फोकस नहीं कर सकते। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मोतियाबिंद और ग्लूकोमा के बाद कॉर्निया की बीमारी से दृष्टि गिरने का मुख्य कारण है। किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद नेत्र सहित उसके अनेक अंग दान किए जा सकते हैं, इन्हें जरूरतमंद रोगियों में प्रत्यारोपित किया जा सकता है। मृत्यु के बाद नेत्रदान से क्षतिग्रस्त कॉर्निया के स्थान पर स्वस्थ कॉर्निया को प्रत्यारोपित किया जाता है। प्रत्यारोपण के बाद दृष्टिहीन व्यक्ति फिर से सामान्य व्यक्ति की भांति देख सकता है और उसकी जिंदगी जगमगाने लगती है।
नेत्रदान: एक पुनीत कार्य
नेत्रदान के मृत्यु के छह घंटे के अंदर हो जाना चाहिए। अनेक संगठनों द्वारा नेत्रदान की सुविधा घर पर भी दी जाती है। जिस व्यक्ति ने नेत्रदान की घोषणा न की हो, उसके रिश्तेदार मृत व्यक्ति का नेत्रदान कर सकते हैं। आंखों का कोई आपरेशन करा चुके, चश्मा पहनने वाले व्यक्ति या डायबिटीज के रोगी भी नेत्रदान कर सकते हैं। पंद्रह मिनट में संपन्न होने वाली प्रत्यारोपण प्रक्रिया से शरीर का कोई अंग क्षत-विक्षत नहीं होता। नेत्रदान के पुनीत कार्य को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से भारत सरकार का स्वास्थ्य मंत्रालय प्रतिवर्ष 25 अगस्त से 8 सितंबर राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा आयोजित करता है। इन दिनों नेत्रदान की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं।सरकारी व गैरसरकारी अस्पतालों के अलावा अनेक राष्ट्रीय संस्थाओं के आई बैंकों में सरलता से नेत्रदान किया जा सकता है। आई बैंक एसोसिएशन ऑफ इंडिया में 515 संस्थाएं पंजीकृत हैं, यह नेत्रदान के संग्रहण के जरूरी मानक तैयार करता है। पाराशर फाउंडेशन की ऑर्गन डोनेशन इंडिया, लायन्स क्लब तथा अन्य संगठन नेत्र संग्रह और प्रत्यारोपण में ठोस योगदान दे रहे हैं।
नेत्रहीनों तथा अल्पदृष्टिबाधितों की देश की मुख्यधारा में भागीदारी सवंर्धित करने के उद्देश्य से 1943 में स्थापित भारत सरकार का राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान (पुराना नाम राष्ट्रीय दृष्टि बाधितार्थ संस्थान/एनआईवीएच) कार्यरत है। इसके उद्देश्य हैं दृष्टिबाधितों के अधिकार सुनिश्चित करना, उन्हें गरिमापूर्ण जीवन बिताने में संसाधन विकसित करना, उनके शिक्षण के लिए उपयुक्त जनशक्ति प्रशिक्षित करना, इस दिशा में शोध, अनुकूूल नीतिनिर्माण में योगदान। बोलती पुस्तकों के निर्माण सहित यह ब्रायल साहित्य उत्पादित और वितरित करने वाली देश की सबसे बड़ी संस्था है।
अपनी बेहतरी के जुगाड़ में तो हर कोई लगा है, कीड़ेमकोड़े और पशु-पक्षी भी। किंतु सही में जीता वही है जिस हृदय में जरूरतमंदों को राहत देने का भाव हो। नेत्रदान पुण्य कार्य है, मनुष्य के रहने पर उसकी आंखें किसी के जीवन को रोशन कर सकती हैं। इस अभियान में स्वयं के योगदान तथा अन्यों को भागीदार बनाना सही मायने में मानवीय सेवा है।
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इस आलेख का संक्षिप्त प्रारूप 4 जनवरी 2022, मंगलवार को दैनिक जागरण के राष्ट्रीय संस्करण में “विश्व ब्रेल दिवस: नेत्रदान से रोशन करें किसी की दुनिया” शीर्षक से प्रकाशित। अखवार के ऑनलाइन संस्करण का लिंक: https://m-jagran-com.cdn.ampproject.org/v/s/m.jagran.com/lite/news/national-world-braille-day-illuminate-someone-world-with-eye-donation-22352102.html?amp_js_v=a6&_gsa=1&usqp=mq331AQKKAFQArABIIACAw%3D%3D#aoh=16414692499989&referrer=https%3A%2F%2Fwww.google.com&_tf=From%20%251%24s&share=https%3A%2F%2Fwww.jagran.com%2Fnews%2Fnational-world-braille-day-illuminate-someone-world-with-eye-donation-22352102.html
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