पुराने को निपटा देंगे तो कहीं के नहीं रहेंगे। जिसने इतना समय आपका साथ निभाया उसकी उपेक्षा प्राकृतिक विधान के विरुद्ध है, ऐसा न करें।
पड़ोस के शर्माजी ने नई कार क्या खरीदी कि वर्मा परिवार की नींद उड़ गई, उन्हें सपरिवार अपनी आठ साल पुरानी कार खटारा लगने लगी। पत्नी आए दिन उलाहना देती, ‘‘छह महीनों से रट मैंने लगा रखी थी, बेटी के रिश्ते के बाबत इधर-उधर जाना होता है, नई गाड़ी ले ली होती तो हर लिहाज से बेहतर रहता, बाजी शर्मा परिवार ने मार ली। वे ऐसे धन्ना सेठ भी नहीं, आप जितनी ही आय है उनकी।’’ श्रीमती वर्मा को अपनी पुरानी गाड़ी से उतनी पीड़ा नहीं थी जितना शर्माजी की नई गाड़ी से।
जो पास में है उसकी कद्र करेंः बजाए इसके कि अपने पास क्या नहीं है, पड़ताल यह होनी चाहिए कि अपने पास कितना कुछ है। संतुष्ट या असंतुष्ट रहना एक स्वभाव है। सब कुछ पा कर भी कुछ लोग संतुष्ट नहीं होंगे। जो अपने पास नहीं है उसके लिए मन मसोजते रहने वाला सदा के लिए अपना सुखचैन खो देता है।
आज की लौकिक, वैचारिक या बौद्धिक स्थिति से असंतुष्टि का अर्थ है उस परिवार, उन संस्थानों और व्यक्तियों के प्रति कृतज्ञता भाव नहीं है जिन्होंने लंबे समय आपका साथ बखूबी निभाया और जिनके बूते आप आज के मुकाम पर हैं। अहसानफरमोशी उन्नति के मार्ग की बहुत बड़ी बाधा है। जीवन में आगे वही बढ़े जिनमें जो अहसानमंद रहे। अहसानफरमोश की एक और खासियत है। वह असफलताओं का दोष दूसरों पर मढ़ेगा और सफलता का समूचा श्रेय स्वयं लेगा।
नए का आकर्षणः नई पोषाक, नए बर्तन, मिक्सी, फर्नीचर आदि में ऐसा क्या होता है कि मौजूदा ठीक-ठाक चलती आइटमों को दरकिनार कर दिया जाता है? कदाचित नए पड़ोसी, मित्र, या संबंधी के समक्ष पहले के सुपरीक्षित जन दोयम दर्जे के हो जाते हैं! माना कि नई चीजों, फिजाओं और संबंधों के प्रति जैसे नामी रेस्तरां की फलां-फलां डिशिज़, सरहद पार की गतिविधियों या दूसरों की बीवियां के लिए कौतुहल अस्वाभाविक नहीं है। बल्कि यही जिज्ञासा और कौतुहल की वृत्ति कलाकारों व अन्य सृजनकर्ताओं में उच्च कोटि की होती है – किंतु सांसारिक उद्देश्यों से नहीं बल्कि प्रकृति और जीवन को संचालित करते स्रोतों की बेहतर समझ की आकांक्षा से। वृहत्तर लक्ष्यों की प्रेरणा से ही कालजयी रचनाएं प्रस्तुत हो पाती हैं।
आवरण धोखा दे सकता हैः लोकजीवन में कौतुहल और आकर्षण का एक बड़ा कारण आवरण को सत्य मान लेना है। अकेले में प्रायः दुखी रहने पर नामी फिल्म अभिनेत्री अनन्या पांडेय ने हालिया एक इंटरव्यू में स्वीकार किया कि वास्तविक जिंदगी में वैसा स्वप्निल कभी नहीं घटता जिसे परदे पर दिखाने को वे विवश रहती हैं। दूर का सुरम्य पर्वत करीब जा कर कंटीले, रूखे पेड़ों में तब्दील हो जाता है। मुखौटे हैं कि कदाचित गिर जाते हैं और असल, घिनौना रूप प्रकट हो जाता है। सयानी सोच और दूरदर्शिता का तकाजा है कि बाहरी दर्शन और जगजाहिर व्यवहार से धारणाएं न बनाई जाएं।
जो उपलब्ध है उससे संतुष्टि का अर्थ पुरातन में लिप्त रहना नहीं है। पुरानी चाबी से नए ताले नहीं खुलेंगे। तेजी से बदलते परिवेश में बेहतर जीवन के लिए निरंतर नई युक्तियां तलाशनी होंगी, अन्यथा जीवन ठहर जाएगा। प्रयोगधर्मिता उच्च मानवीय गुण है, यह तमाम नई उपलब्धियों का आधार भी है। इसके बावजूद पुरातन की सिद्ध तकनीकों और व्यवस्थाओं को खारिज कर देने को बचकाना ही कहा जाएगा।
अग्रणी सोच का व्यक्ति अपनी ढ़ाई हाथ की काया और मस्तिष्क की अथाह सामर्थ्य के प्रति आश्वस्त होगा। दूसरों के बैंक बैलेंस और परिसंपत्ति उसे विचलित नहीं करते। वह जानता है कि जिस मुकाम पर वह है वह बहुतेरों का स्वप्न है। इस संतुष्टि का अर्थ यह नहीं कि उसे जीवन में अतिरिक्त नहीं चाहिए। मनुष्य का असल स्वरूप दैविक है, यह समझते हुए उसका समस्त ध्यान निरंतर अंतःकरण को परिमार्जित और सुदृढ़ करने तथा उच्चतर शक्तियों से तादात्म्य सवंर्धित करने में रहेगा। उसे असंतुष्टि रहती है तो यह कि उसका अभी तक का ज्ञान और बौद्धिक स्तर अतिसीमित है। ज्ञान की उत्सुकता उसे निरंतर अभिनव स्रोतों, साधनों और गंतव्यों की ओर आकृष्ट करती रहती है।
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