सत्यवान मा भव (सत्यवान मत बनो)

Blunt Speaker

कुछ दिन पहले मोबाइल पर एक मैसेज पढ़ने को मिला, ‘‘सावित्री ने यमराज से संघर्ष किया और अपने पति को मौत के मुंह से वापस ले आई।” आगे लिखा था, ‘‘सबक — आपको आपकी पत्नी से भगवान भी नहीं बचा सकता।’’

मैसेज पूरा होते ही मोबाइल बज उठा, भोपाल से एक अंतरंग मित्र था। उन्हें ताजा मैसेज सुनाया तो हाजिर जवाब मिला, समस्या तब होती है जब पति सत्यवान हो। लम्पट नहीं तो मिथ्यावान तो बन ही जाओ, पत्नी की सदाबहार झल्लाहटों, किचकिचों, फब्तियों, बड़बड़ाहटों, गुर्राहटों, अनंत शिकवों-गिलवों, फरमाइशों से निजात मिल जाएगी। यह बात शेक्सपीयर बखूबी जानते थे, इसीलिए अपने एक पात्र से कहलवाए, ‘‘कई लोगों की भलमानसी उनके झमेलों से जूझते रहने का सबब बन जाती है।”

दिल पर हाथ रख कर बताएं, क्या आपको अपने समाज या रिश्तेदारी में तेज-तर्रार, हमेशा पतिरूपी घोड़े पर सवार पत्नियों से पाला नहीं पड़ा? उन बेचारे पतियों की दुर्गत पर क्या आपकी आंखें सजल नहीं हो उठीं ?

कई कामयाब लोगों की हमेशा पति को दुत्कारती-फटकारती पत्नियों को देख कर अपन के ज्ञानचक्षु खुल गए; हर कामयाबी के पीछे शायद एक अदद रौबीली, धौंसदार महिला जरूरी है।

जिन लोग को घर अक्सर काटता उन्हें आफिस में, रास्ते चलते, शापिंग करते, सार्वजनिक स्थलों, मंदिरों-मस्जिदों या अड़ौस पड़ौस में ही मिजाज के अनुसार कोई खास आयुवर्ग या किसी भी मादा को तांकझांक कर चैन पड़ जाता था, पर हाय रे कानून! अब घूरने भर के आरोप में गैरजमानती वारंट और सलाखों के पीछे। औरतें पहले ही कमतर थीं क्या ? सेमुएल जानसन ढ़ाई सौ बरस पहले कह गए, प्रकृति ने औरत जात को इतनी शक्ति दे रखी है कि कानून ने जानबूझ उन्हें कम दिया। मोहम्मद जिन्ना का भी यही खयाल था – “दुनिया में दो ही बड़ी ताकतें हैं कलम की और तलवार की; दोनों परस्पर प्रतिस्पर्धी हैं। एक अन्य शक्ति भी है जो दोनों से बढ़कर है – महिला शक्ति”। क्या आपने नहीं देखा भरी बस में यदि आग लग जाए तो सबसे पहले किसे बचाया जाता है। या पीछे से आ रही ठसाठस बस में जब सुई रखने की जगह नहीं होती तो भी बनीठनी नवयुवती के लिए बस रोक कर उसके बैठने की जगह बन ही जाती है।

कई बेवकूफों की तरह मैं पत्नी तथा महिला समाज के समक्ष तथ्यों और तर्कों से पेश आता रहा और हर बार मुंह की खाता रहा, इस सच्चाई से अनभिज्ञ कि वे समझने के लिए नहीं, बल्कि सजने-संवरने और प्यार किए जाने के लिए बनी हैं।

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