विनम्र श्रद्धांजलि: श्रीमान् महेश चंद्र कोटनाला
कल आषाढ़ चतुर्दशी (27 जून 2022) सोमवार को मेरे श्वसुर श्री महेश चंद्र कोटनाला अपने कोटद्वार निवास में पार्थिव शरीर, और स्वजनों, परिजनों की संगत छोड़ कर चल पड़े!
जीवन वृत्त
वर्ष 1927 में उत्तराखंड में लैंसडौन के निकट मठाली गांव में जन्मे महेश चंद्र कोटनाला दो भाइयों व एक बहन में अकेले रह गए थे। अथाह धैर्य, सौम्यता, नेकनीयती, संयम और सूझबूझ की प्रतिमूर्ति श्री कोटनाला जी दैनंदिन तथा अन्य कार्य अत्यंत सुविचार से संपन्न करते। खुद्दार मिजाज के कोटनाला जी अंतिम दिनों तक अपने सभी कार्य अपने हाथों करते रहे। आखिरी क्षणों में भी उन्होंने अपने कारण परिवार जनों को कोई परेशानी नहीं होने दी।
अपने जीवन के अधिकांश वर्ष उन्होंने कोलकाता में पहले एनटीसी, और फिर प्राइवेट संगठन में बिताए। अपनी स्वभावगत कर्तव्यपरायणता, निष्ठा और कर्मठता के कारण उन्हें नियोक्ताओं व सहकर्मियों का अपार स्नेह और सम्मान मिला।
अपनी कर्मशील, जुझारू प्रवृत्ति का श्रेय वे बचपन में अपनी मां के शब्दों को देते थे (हिंदी रूपांतर) “मेरा महेश सारे दिन एक चट्टान पर भी बैठा रहेगा तो सम्मानजनक तरीके से जीवन यापन का कोई तरीका जरूर ईजाद कर लेगा।”
उम्र ज्यादा होने के बाद वे सपत्नी कोटद्वार बस गए। मेरे पिताजी (दिवंगत श्री तीर्थानन्द बड़थ्वाल) से उनकी पटरी खूब बैठती। जब वे कोटद्वार से हमारे यहां दिल्ली आते तो दोनों की बांछें खिल जातीं, प्रेम से दोनों घंटों घंटों गढ़वाल में बिताए बचपन के संस्मरण साझा करते।
पुण्यात्मा को विनम्र नमन और भावभीनी श्रद्धांजलि!
भाग्यशाली पुण्यात्मा: इस मामले में वे भाग्यशाली रहे कि अंतिम समय में उनके दोनों पुत्र (श्री मुकेश, श्री रतन) और तीनों पौत्र (विक्की, सार्थक, विनीत) सामने, सेवा में रहे।
सच्ची श्रद्धांजलि
दिवंगत आत्मा को पुष्पार्पण से श्रद्धांजलि देने का चलन है। यह तो महज औपचारिकता हुई। मायने उन्हीं कार्यों के हैं जो आपने उनके जीते जी निभाए। फिर भी, सच्ची श्रद्धांजलि उस मार्ग के अनुसरण से, उसे अपनाने से संपन्न होती है जिस पर वे चलते रहे और जिसकी वकालत करते रहे।
मैं आश्वस्त हूं, ईश्वर उन्हें सद्गति प्रदान करेंगे।
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पुण्यात्मा थे स्वर्गीय महेश जी। मेरी कुछ मिनटों की मुलाकात है उनसे हरीश जी के घर पर। तभी मैंने उन्हें उनकी माता जी द्वारा उनके दृढ़ व्यक्तित्व के बाबत जैसा बताया गया, उन्हें वैसा ही पाया। अडिग स्वरूप और कर्मठ स्वभाव था उनका। दृढ़ संकल्प रखते थे। उनके पदचिन्हों पर चलना उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। प्रभु से प्रार्थना है कि उनकी पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें। पारिवारिक जन उनका अनुकरण करें और ऐसी पुण्यात्मा के जाने का दुख न मनाएं। ओम् शांति शान्ति शांति।
विनम्र श्रद्धांजलि। नमन!
दिवंगत पुरुष को विनम्र श्रद्धांजलि। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। वे बहुत स्नेही और मृदुभाषी व्यक्ति थे। अनेक बार उनसे मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। कई बार उनके घर कोटद्वार भी जाना हुआ। ॐ शांति:!