सिद्धपुरुषों की बात अलहदा है जो कई दिन, हफ्ते, महीने बल्कि ज्यादा भी एकांत में सुकून से जी लेते हैं। सांसारिक लोगों को पग पग पर एक दूसरे का संबल चाहिए। दूसरों को अपना समझने की फितरत बन जाएगी तो जीवन आनंदमय हो जाएगा।
मनुष्य की मूल प्रवृत्ति एकाकी है। वह दुनिया में अकेला आता है, अकेला ही एक दिन चल बसता है। तथापि जन्म से मरण की यात्रा के दौरान पग पग पर इष्टमित्रों व सहवासियों के अनवरत सानिध्य और मेलभाव के सहारे वह अपने कर्तव्य और दायित्व निभाते हुए, कमोबेश संतुष्टिमय जीवन बिताने में सक्षम होता है। जीवित या दिवंगत मांता-पिता, पितरों व वरिष्ठजनों की मंगलकामनाएं भी नैतिक संबल बन कर हमारे कार्यों में सहायक होती हैं। जिन्हें अंतरंग मित्रों का स्नेह और मानसिक संबल मिलता है उनके जीवन में हताशा या नैराश्य की संभावना घटती है।
धन-संपत्ति, ज्ञान, बाहुबल, पद-प्रतिष्ठा या लोकप्रियता के उन्माद से अभिभूत व्यक्ति दूसरों का समादर नहीं करता बल्कि उनका तिरस्कार और निरादर करते से नहीं चूकता। मोहजाल में लिप्त व्यक्ति की सोच भी प्रायः स्वयं, स्वयं के जीवनसाथी और संतति के हितों तक सीमित रहती है; शेष प्राणियों से वह सायास दूरी बना लेता है। संकुचित दृष्टि के कारण उसमें परिवेश के सहजीवियों के प्रति वास्तविक सहानुभूति या दया नहीं उपजती। वह नहीं जानता कि प्रत्येक व्यक्ति पृथ्वी की अबूझ, वृहत् व्यवस्था में एक चिंदी इकाई मात्र है और उसकी बेहतरी व खुशहाली अपने परिवेश की अन्य अस्मिताओं से पृथक संभव नहीं है।
जीवन की जिन अहम सच्चाइयों की हम उपेक्षा करते हैं समय हमें लताड़ कर उनसे रूबरू कराता है। नानाविध समस्याओं के बावजूद कोरोना आपदा ने मनुष्य को झकझोर कर सिखाया कि विपत्ति के क्षणों में आवश्यक नहीं धन, साधन और रुतबा राहत दें। आडंबर और अहंकार त्याग कर, सहजीवियों से मेलभाव ही मनुष्य को कुशल और सुखी रखता है। यह जान लेंगे कि निजी सरोकार ईमानदारी से साझा करने और मिल-बांट कर जीने में जीवन के सुख हैं तो हमारी अधिकांश कठिनाइयां सुलझ जाएंगी। यह भी न भूलें कि सदाशयता और प्रेम का ढ़ोल नहीं पीटना पड़ता, यह दूसरा व्यक्ति तो क्या पालतू जीव भी समझता है। साथियों-मित्रों का स्नेहभाव और खुला समर्थन तभी सुलभ होगा जब हम उन्हें अपना मानेंगे; उनके लक्ष्यों, सरोकारों में सहभागी बनेंगे, उनकी पीड़ाओं, व्यथाओं और खुशियों को अपना समझेंगे। इस प्रक्रिया में हम नैतिक और आध्यात्मिक स्तर पर स्वयं भी उन्नत होंगे।
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दैनिक जागरण के (संपादकीय पेज पर) ऊर्जा कॉलम में ‘‘मेलभाव’’ शीर्षक से 22 मई 2021, शनिवार को को प्रकाशित। अखवार का लिंक-
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There is a message in this article: “United we stand”.
Excellent presentation of a useful subject, for sustaining state of peace in life.