बुलंदी पर चढ़ते शख्स को देख कर न भूलें, इसके पीछे दिन-रात की जीतोड़ मेहनत, लगन, और सब्र का माद्दा रहा है। जब अन्य लोग पार्टियों, पिकनिक तथा अन्य रंगरेलियों में मशगूल थे, तब ये इत्मीनान से अपने मिशन में डूबे रहते थे। दिशा सही है तो आपको केवल सब्र रखना है। सफलता के गंतव्य तक पहुंचने के लिए एस्केलेटर से नहीं, सीढ़ी-दर-सीढ़ी चलना होता है।
रातों रात नहीं मिलती कामयाबी
जिन शानदार, उत्कृष्ट उपलब्धियों से हम बाग-बाग हो जाते हैं वे अनायास नहीं मिल जातीं। बिना किए धरे, एक झटके में कुछ मिल जाएगा तो वैसे ही चला भी जाएगा — ईज़ी कम, ईज़ी गो। कोई भी टिकने वाली उपलब्धि तो दीर्घावधि तक निष्ठा और अथक प्रयासों से निष्पादित कार्य का स्वाभाविक प्रतिफल होती है। श्रेष्ठ साहित्यिक रचनाओं तथा अन्य कालजयी कलाकृतियों के पीछे वर्षों, कभी दशकों की धैर्यपूर्वक, अनवरत, कष्टसाध्य साधना रहती है। प्रशिक्षु इंजीनियर जब धैर्य से वर्कशाप में कल-पुर्जों को घिसता, फिट करता है तभी उसके हुनर में निखार और परिमार्जन आता है। कभी शायद उसने उस्ताद के लिए चाय भी पेश की होगी। आखिरकार वह गुणी प्रोफेशनल के तौर पर उभरता है और कालांतर में अपार ख्याति का पात्र बनता है। भारत के चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता के पीछे वषों तक अनेक वैज्ञानिकों के मनोयोग से संपादित प्रयत्न रहे। आरंभिक प्रयोगों के निष्फल होने पर उन्होंने धैर्य नहीं खोया। वे जानते थे कि बड़े उद्देश्य के मार्ग में चुनौतियां और अड़चनें अनिवार्यतः आती हैं।
पौधे की वृद्धि, उसमें फल-फूल लगने आदि में समय लगता है। ऐसा नहीं होता कि रात को बीज बोए और सुबह फसल काटने आ गए, जैसा कुछ बंदरों ने एकबारगी किया था। प्रकृति की सभी क्रियाएं शनैः शनैः घटित होती हैं। हाइवे पर अति तीव्र गति से चलते वाहन में बैठे सड़क से सटे लहलहाते खेत और उनसे उत्सर्जित सुगंध का लुत्फ नहीं ले सकेंगे। गंतव्य तक पहुंचने की शीघ्रता में आप यात्रा के तथा इर्दगिर्द की छटाओं के आनंद से हाथ धो बैठेंगे।
याद रहे – जो, जितना, आपके निमित्त है वह कोई नहीं छीन सकता, इसलिए हड़बड़ी में अपना चैन नहीं खोएं।
हडबड़ी में सुखचैन छिनता है
हड़बड़ी मे किए गए कार्य जल्दी नहीं, बल्कि प्रायः विलंब से होते हैं। इनके बिगड़ने की संभावना भी अधिक रहती है। उसी भांति जैसे जोड़तोड़ से धन-संपत्ति, पद या लोकप्रियता कदाचित प्राप्त हो भी जाए तो वह टिकाऊ नहीं होगी, न ही उसका सुफल मिलेगा। सफलता के गंतव्य तक पहुंचने के लिए एस्केलेटर से नहीं, सीढ़ी-दर-सीढ़ी चलना होता है। उकताहट में दौड़ने वाले अपनी सुधबुध खो देते हैं; बहुतेरे तो यह नहीं जानते कि वे किस दिशा की ओर अग्रसर हैं। सड़क पर अधीर हो कर पौं-पौं करते वाहनों की चेतावनीस्वरूप एक ट्रक के पीछे पते की बात लिखी थी, “जिन्हें जल्दी थी वे चले गए।“
आतुर न हों
आतुरी में बोलेंगे तो बतड़ंग बनेगा। जब तक आसमान न गिर पड़े, चीखें नहीं। व्याकुल मन से लिखेंगे तो अनर्गल लिखा जा सकता है और पढ़ने वाला आपको गाली, उलाहना या ताने देगा; कलह होंगे, प्रेम भाव जाता रहेगा। आप स्वयं भी पछताएंगे, यह क्या कर डाला। यही व्यवहार के साथ होता है; अधीर होंगे तो संबंध बिगड़ेंगे, तथा परिजनों, मित्रों के सहयोग, स्नेह और उनकी सद्भावनाओं से वंचित रहेंगे। इसके विपरीत संवाद और आचरण सुविचार से होंगे तो आपके कहे-लिखे की गरिमा होगी, आपको समादर की दृष्टि से देखा जाएगा। धैर्य शानदार, सुखमय जीवन का मंत्र है।
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इस आलेख का तनिक संक्षिप्त प्रारूप ‘‘धैर्य का सुफल’’ शीर्षक से 1 सितंबर 2023 शुक्रवार के दैनिक जागरण, ऊर्जा कॉलम (संपादकीय पेज) में प्रकाशित हुआ।
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