जितना दिखाई पड़़े, उससे परे देखना होगा

 

समान आयु, जिम्मेदारी, आमदनी, पारिवारिक-आर्थिक परिस्थितियों के दो व्यक्तियों में से एक हंसता-खिलखिलाता, स्वस्थ, कमोबेश संतुष्टिमय जीवन बिता रहा होता है तो दूसरा विपन्नता और चिंताओं में ग्रस्त, जैसे तैसे दिन काटता है। इतना फर्क आ जाता है तो व्यक्ति की सोच के कारण। एकबारगी जिस  सांचे में ढ़ल जाएंगे उसमें तब्दील दुष्कर होगी।

हमारा जीवन कितना सहज, उन्नत, सफल या सुखमय बीतेगा, यह हमारी सोच से निर्धारित होता है। दिलोदिमाग में संजोए स्वप्न में जितनी स्पष्टता होगी और लक्ष्य पाने की उत्कंठा जितनी तीव्र, उसी अनुपात में सफलता मिलेगी, यह तय है। स्वप्न या लक्ष्य नहीं होगा तो उपलब्धियां मिलना तो दूर, जीवन में हताशा पसर सकती है। लक्ष्यहीनता की परिणति आयु ढ़लने पर विशेषकर पीड़ादाई हो जाती है। समस्त जीवन यों ही नष्ट हो गया, कुछ ठोस हासिल नहीं हुआ, यह भाव व्यक्ति को क्षुब्ध कर सकता है। नामी लेखिका हेलेन केलर ने कहा, ‘‘अंधा होने से बदतर स्थिति उस व्यक्ति की है जिसमें दूरदृष्टि नहीं है।’’

दूरदृष्टि (यानी विजन) का आधार यह अडिग विश्वास है कि आगामी समय वर्तमान से बेहतर होगा, ऐसा व्यक्ति निरंतर कर्मरत रहेगा। विज़़न वह मशाल है जो व्यक्ति में निरंतर आशा का संचार करती रहती है। ऐसे व्यक्ति में दूसरों के हित में योगदान देने की प्रवृत्ति मुखर होगी, परिणामस्वरूप उसे परिजनों व अन्यों से अपार सहयोग और स्नेह मिलेगा। पूर्णरूप से वही जीता है जो स्वप्न को साकार करता है, उसे मार नहीं देता। आशंका, संशय और भय विकास के रोड़े हैं; जिसमें ये हावी हो जाएंगे उसकी उन्नति के द्वार अवरुद्ध हो जाएंगे।

कमजोर कड़़ी ही ले डूबती है

हमारे व्यक्तित्व का जो पक्ष सबसे निर्बल वहीं हम मार खाते हैं। अत्यंत दयालु, स्नेही होना भी कुछ के लिए अभिशाप बन जाता है। आप जिस कार्य में स्वयं को अक्षम मानते हैं, उसे संपन्न करने का साहस करेंगे तो शरीर या मन के वे समर्थ अंश सक्रिय होंगे जो अन्यथा निष्क्रिय पड़े रहते हैं। इस प्रक्रिया में उन सुषुप्त अंगों की कार्यकुशलता में वृद्धि होगी। दूरदृष्टि लिए व्यक्ति की नई संभावनाओं में आस्था उसे वर्तमान कठिनाइयों में विचलित नहीं करतीं। उसका आचरण सहज, जीवंत, खिला-खिला, उमंगभरा और सकारात्मक होगा। चूंकि वह निरंतर स्फूर्तिमय, सक्रिय रहता है, वह अतीत के गुणगान या भविष्य की चिंताओं में नहीं डूबे रहता बल्कि सदा जाग्रत अवस्था में रहेगा। दूरदृष्टि का अर्थ है उससे परे देखने की क्षमता जितना सतह पर दिखता है। इसमें लक्ष्य पाने के लिए आवश्यक उत्साह संचारित करने की अपार क्षमता है।

विज़़न हमें शक्ति देता है

एक विचारक ने कहा, वास्तविक साहसी वे हैं जिन्हें अपने दूरगामी लक्ष्य स्पष्ट दिखते हैं; आगे की राह सुनहरी हो या जोखिमभरी, उनके पांव नहीं ठिठकते। दूरदृष्टि संपन्न व्यक्तियों के अधिकाधिक सानिध्य से आध्यात्मिक रूप से उन्नत होते रहेंगे। इसके विपरीत दूरदृष्टि विहीन व्यक्तियों की संगत में अपनी मूल यानी दिव्य अस्मिता खो देंगे। प्रभु ने जो दिव्य गुण आपको दिए हैं उनका समादर करें, उनका लोप न होने दें। आप अपने ही बेहतरीन संस्करण के तौर पर उभर जाएंगे।

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इस आलेख का संक्षिप्त प्रारूप 17 जनवरी 2022, सोमवार को दैनिक जागरण के संपादकीय पेज में ऊर्जा कॉलम ‘‘दूरदृष्टि’’ शीर्षक से प्रकाशित हुआ।

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2 thoughts on “जितना दिखाई पड़़े, उससे परे देखना होगा

  1. बढ़िया लेख है हालांकि यहां दूरदृष्टि का तात्पर्य सांसारिक उपलब्धियों से ही है। इसमें आंतरिक रूपांतरण/उत्थान का समावेश किया जाता तो बेहतर होता।

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