बाहर की रोशनी तो ठीक है, पर ज्यादा अहम है मन-चित्त जगमगाता रहे
उत्तराखंडी लोक गायत्री डा0 कुसुम भट्ट की एक पंक्ति है, ‘‘भैर बिटि खोल चढ्यां भितर गSदला फट्यां छन’’ यानी बाहर से तो जलबेदार कवर चढ़े हैं और भीतर गद्दे फटे हुए हैं! बाहर दिये जलते रहें, अच्छी बात है किंतु अपने अंतःकरण की लौ को शिथिल नहीं होने देना है। बाहरी प्रकाश धोखा दे सकता […]
आराधना निष्ठा से होगी तभी आशीर्वाद का सुफल मिलेगा
ईश्वर तो आशीर्वाद दे कर आपको धन्य करने के लिए तैयार हैं, आप लेने वाले बनें। जल की भांति ज्ञान, बुद्धि, कौशल, आशीर्वाद आदि के देन-लेन में प्रवाह ऊपर से नीचे, संपन्नता से अभाव की ओर चलता है। देवी-देवताओं से अगली सीढ़ी में दिवंगत और सिद्धजन हैं, उनका स्थान लौकिक जनों से उच्च है। उनसे […]
नित्य नया जानने-सीखने वालों की कद्र कभी नहीं घटती
दुनिया में सब कुछ चलायमान है, आगे सरक़ रहा है। एक जगह खड़े रहने वाले पिछड़ जाएंगे। भरपूर जीने और आनंद के लिए अपने ज्ञान, बुद्धि और हुनर को उन्नत करते रहना होगा। इस आशय से हर दिन सीखते रहने की आदत बनानी होगी। जिज्ञासा की लौ को मद्धिम न पड़ने दें। आपकी उपयोगिता तभी […]
खुशनुमा जीवन के लिए वियोग के दुष्चक्र से शीघ्र निकलने की जुगत करनी होगी
सयाना, सुलझा हुआ, धैर्यशील व्यक्ति भी प्रियजन के जीवित न रहने पर एकबारगी टूट जाता है। अपनी असल भूमिका को पहचानते हुए अपने नए संस्करण बतौर उभरेंगे तभी एक अर्थपूर्ण, संतुष्टिदाई जीवन बिता सकेंगे। उस महिता के पति असमय गुजर जाने पर पड़ोसी, रिश्तेदार, अन्य परिचित जन, सभी आशंकित थे, आगे न जाने क्या होगा? बेचारी […]
पैसा कमाना ही लक्ष्य बन जाए तो दुर्गत शुरू हो गई समझ लीजिए
‘‘सबसे बड़ा रुपय्या’’ मानने वाले बेचारे हैं। वे नहीं जानते कि दनिया की बेहतरीन चीजें न बिकती हैं, न खरीदी जा सकती हैं। इन्हें श्रम और अथाह धैर्य से अर्जित करना पड़ता है। पैसा और पैसे वालों की वाहवाही करने वाले कालांतर में जब धड़ाम से गिरते हैं तो उनका साथ देने वाला कोई नहीं […]
तन-मन को कुछ भी परोसते रहेंगे तो जीवन की दिशा-दशा दुरस्त नहीं रहने वाली
मशीनों के सम्मोहन में हम जीवन के आनंद भूलने लगे हैं। जहां एक ओर अंतरंग संबंध जाते रहे, एकाकीपन से ग्रस्त हो गए वहीं जीवन को ठहराव और संबल प्रदान करती आस्थाएं भी लुप्त होने के कगार पर हैं।जीवन को जीवंत, खुशनुमां और सार्थक बनाना है तो समूचा उलटफेर जरूरी होगा। अंधाधुंध मशीनीकरण और हमारे […]
नए की दौड़ में उसका आनंद न खो दें जो अभी हाथ में है
पुराने को निपटा देंगे तो कहीं के नहीं रहेंगे। जिसने इतना समय आपका साथ निभाया उसकी उपेक्षा प्राकृतिक विधान के विरुद्ध है, ऐसा न करें। पड़ोस के शर्माजी ने नई कार क्या खरीदी कि वर्मा परिवार की नींद उड़ गई, उन्हें सपरिवार अपनी आठ साल पुरानी कार खटारा लगने लगी। पत्नी आए दिन उलाहना देती, […]
जीवन के रंगों से वंचित न रहें
केवल हरा रंग पहचानने वाला लाल, पीला, नीला, काला, या बैंगनी रंग की वस्तुओं में भेद कैसे करेगा? वह जीवन की बहुरंगी छटाओं को निहारने से मिलती सुखद अनुभूति से भी वंचित रहेगा। अजब-बजब होगी उसकी दुनिया! जीवन मुंह फुलाए रहने के निमित्त नहीं है: प्रभु ने हमें इहलोक में इसकर नहीं भेजा कि मुंह लटकाए […]
मूसलचंदों के समाज में तांकाझांकी के लुत्फ
दूसरे क्या करते, सोचते हैं इससे मिलने वाले अथाह आनंद से वे सही मायने में वंचित रहते हैं जो अपने ही कार्य में आंखें गड़ाए रहते हैं। अपना काम छोड़ कर दूसरों की हरकतों में दखल से मिलते लुत्फ को वे इकडगरी क्या जानें जो सदा अपने और अपने काम के बोझ तले धंसे रहते […]
कम बोलें; झमेले, लफड़े भी कम होंगे
कम बोलेंगे तो शब्दों में वजन ज्यादा होगा। ज्यादा बोलना मतलब ज्यादा फंसाद, कलह और मनमुटाव। शब्द ऊर्जा है, इसे बेहतरीन कार्य के लिए संरक्षित रखें। जहां कम से काम चल जाए वहां अतिरिक्त ऊर्जा क्यों खर्ची जाए। शब्द और मौन शब्द मनुष्य के विचार और भावना के आदान-प्रदान का प्रभावी वाहन हैं। लिखित […]
आपकी वास्तविक संपदा क्या है ?
नौकरी न मिलना, प्रोमोशन में देरी, कोर्ट केस में हार, कीमती सामान की चोरी आदि से परेशान हो कर सदा के लिए निराशा में डूब जाना छोटी सोच वालों का काम है। विदेश में रच-पच जाने, मोटी तनख्वाह, ढ़ेर रुपया या सामाजिक रुतबे से कुछ कार्य भले ही सरलता से सध जाएं, किंतु शख्सियत दमदार […]
एक साथ चुनाव आंचलिक हितों में नहीं
पहले कांग्रेस ने ‘एक देश एक चुनाव’ चलाया। अब बीजेपी वही करने पर तुली है। मंशा वही है। कैसे भी सत्ता हाथ से न फिसले। दूसरे पक्ष की नहीं सुनना समाज और देश के दूरवर्ती हित में नहीं है। भारत सरीखा वैविध्यपूर्ण देश शायद ही अन्य कोई हो! यह वैविध्य ही दुनिया के सबसे बड़े […]