Category: हिंदी

समय की गति

संबंध जीवन की धुरी हैं। जो संबंध बनाना और निभाना जानते हैं उनका समय सदा अच्छा चलता है। नव वर्ष, त्यौहार, वर्षगांठ, परिवार में नए सदस्य का आगमन (या प्रस्थान) जैसे अवसर संबंधों और आवासीय परिवेश को संवारने, पुनर्व्यवस्थित करने का कारण बनते हैं। उत्सवी परिवेश रोजमर्रा की एकरसता को तोड़ कर नएपन का अहसास […]

विदेश में रचपच रहे बेटे-बहू के निमित्त खुली चिट्ठी

चि. उत्कृष्ट और आयु. संस्कृति, चि. उत्कृष्ट एवं आयु. संस्कृति, तुम दोनों के विवाह को आज दो वर्ष बीत चुके हैं! मन है, कि चंद शब्द लिखे जाएं। यह कि वैवाहिक जीवन साल-दर-साल बेहतर होते चलें। हालांकि भावी दांपत्य जीवन के स्वरूप और दशा-दिशा को आंकने के लिए दो बरस की अवधि पर्याप्त नहीं होती। […]

अपना भविष्य आप स्वयं बनाते हैं

आने वाला वक्त कैसा गुजरेगा, यह जिज्ञासा स्वाभाविक है। किंतु इतनी बेचैनी ठीक नहीं कि एक-दर-एक ज्योतिषियों, मंदिर-मस्जिदों, गुरुओं-फकीरों के चक्कर लगने शुरू हो जाएं। ऐसे तो आप भटकते ही रहेंगे। अपने भीतर झांकें। परम शक्ति का अंश होने के नाते आप में अथाह सामर्थ्य है जिसके बूते आप सुंदर भविष्य स्वयं निर्मित कर सकते […]

जी-तोड़ मेहनत करने वाले ही उत्सवी फिज़ाओं का लुत्फ उठा सकते हैं

सेलिब्रेशन का आनंद वही उठाता है, बल्कि जीवन के रंगों के लुत्फ उठाने का अधिकारी वही है जिसने मनोयोग से श्रम किया हो। ऐसा व्यक्ति अपने कार्यों के लिए दूसरों का मुंह नहीं ताकता। उसमें आत्मविश्वास  और हौसले भी गजब के होते हैं। प्लेट से उठाए गए या हमारी हथेली में थमाए गए छिली मूंगफली […]

बाहर की रोशनी तो ठीक है, पर ज्यादा अहम है मन-चित्त जगमगाता रहे

उत्तराखंडी लोक गायत्री डा0 कुसुम भट्ट की एक पंक्ति है, ‘‘भैर बिटि खोल चढ्यां भितर गSदला फट्यां छन’’ यानी बाहर से तो जलबेदार कवर चढ़े हैं और भीतर गद्दे फटे हुए हैं! बाहर दिये जलते रहें, अच्छी बात है किंतु अपने अंतःकरण की लौ को शिथिल नहीं होने देना है। बाहरी प्रकाश धोखा दे सकता […]

आराधना निष्ठा से होगी तभी आशीर्वाद का सुफल मिलेगा

ईश्वर तो आशीर्वाद दे कर आपको धन्य करने के लिए तैयार हैं, आप लेने वाले बनें। जल की भांति ज्ञान, बुद्धि, कौशल, आशीर्वाद आदि के देन-लेन में प्रवाह ऊपर से नीचे, संपन्नता से अभाव की ओर चलता है। देवी-देवताओं से अगली सीढ़ी में दिवंगत और सिद्धजन हैं, उनका स्थान लौकिक जनों से उच्च है। उनसे […]

नित्य नया जानने-सीखने वालों की कद्र कभी नहीं घटती

दुनिया में सब कुछ चलायमान है, आगे सरक़ रहा है। एक जगह खड़े रहने वाले पिछड़ जाएंगे। भरपूर जीने और आनंद के लिए अपने ज्ञान, बुद्धि और हुनर को उन्नत करते रहना होगा। इस आशय से हर दिन सीखते रहने की आदत बनानी होगी। जिज्ञासा की लौ को मद्धिम न पड़ने दें। आपकी उपयोगिता तभी […]

खुशनुमा जीवन के लिए वियोग के दुष्चक्र से शीघ्र निकलने की जुगत करनी होगी

सयाना, सुलझा हुआ, धैर्यशील व्यक्ति भी प्रियजन के जीवित न रहने पर एकबारगी टूट जाता है। अपनी असल भूमिका को पहचानते हुए अपने नए संस्करण बतौर उभरेंगे तभी एक अर्थपूर्ण, संतुष्टिदाई जीवन बिता सकेंगे। उस महिता के पति असमय गुजर जाने पर पड़ोसी, रिश्तेदार, अन्य परिचित जन, सभी आशंकित थे, आगे न जाने क्या होगा? बेचारी […]

पैसा कमाना ही लक्ष्य बन जाए तो दुर्गत शुरू हो गई समझ लीजिए

‘‘सबसे बड़ा रुपय्या’’ मानने वाले बेचारे हैं। वे नहीं जानते कि दनिया की बेहतरीन चीजें न बिकती हैं, न खरीदी जा सकती हैं। इन्हें श्रम और अथाह धैर्य से अर्जित करना पड़ता है। पैसा और पैसे वालों की वाहवाही करने वाले कालांतर में जब धड़ाम से गिरते हैं तो उनका साथ देने वाला कोई नहीं […]

तन-मन को कुछ भी परोसते रहेंगे तो जीवन की दिशा-दशा दुरस्त नहीं रहने वाली

मशीनों के सम्मोहन में हम जीवन के आनंद भूलने लगे हैं। जहां एक ओर अंतरंग संबंध जाते रहे, एकाकीपन से ग्रस्त हो गए वहीं जीवन को ठहराव और संबल प्रदान करती आस्थाएं भी लुप्त होने के कगार पर हैं।जीवन को जीवंत, खुशनुमां और सार्थक बनाना है तो समूचा उलटफेर जरूरी होगा। अंधाधुंध मशीनीकरण और हमारे […]

नए की दौड़ में उसका आनंद न खो दें जो अभी हाथ में है

पुराने को निपटा देंगे तो कहीं के नहीं रहेंगे। जिसने इतना समय आपका साथ निभाया उसकी उपेक्षा प्राकृतिक विधान के विरुद्ध है, ऐसा न करें। पड़ोस के शर्माजी ने नई कार क्या खरीदी कि वर्मा परिवार की नींद उड़ गई, उन्हें सपरिवार अपनी आठ साल पुरानी कार खटारा लगने लगी। पत्नी आए दिन उलाहना देती, […]

जीवन के रंगों से वंचित न रहें

केवल हरा रंग पहचानने वाला लाल, पीला, नीला, काला, या बैंगनी रंग की वस्तुओं में भेद कैसे करेगा? वह जीवन की बहुरंगी छटाओं को निहारने से मिलती सुखद अनुभूति से भी वंचित रहेगा। अजब-बजब होगी उसकी दुनिया! जीवन मुंह फुलाए रहने के निमित्त नहीं है: प्रभु ने हमें इहलोक में इसकर नहीं भेजा कि मुंह लटकाए […]

Back To Top