Category: समाज

मौजपरस्ती नहीं है उत्सवी फिजाओं के मायने

प्रकाशित 20 अक्टूबर 2019 अपने यहां हर साल शारदेय नवरात्र से शुरू हो कर जनवरी में माघ स्नान (गंगा स्नान) तक की अवधि को ‘‘उत्सवी चतुर्मास’’ कह सकते है। अलग-अलग कारण से लोग अपने बजट, और इच्छा अनुसार, कुछ बेहिसाब भी, इन पर्वों में सहभागी होते हैं। आदि काल से चले आ रहे हर त्यौहार […]

संकल्प नेक हों तो रुहानी ताकतें भी हाथ बंटाती हैं

मनोवैज्ञानिक बताते हैं, मंसूबे नेक हों, इच्छा ज्वलंत, दिल साफ, और हौसले बुलंद, तो मनचाहा हासिल हो जाता है। वह कार्य भी संपन्न हो जाता है जो सर्वथा अकल्पित, अप्रत्याशित था, तमाम अटकलों से जुदा। और दुनिया भौंचक्की रह जाती है। गए मंगलवार 6 अगस्त को संसद में जो हुआ वह अजूबा से कम न […]

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