Category: समाज

जीवन के रंगों से वंचित न रहें

केवल हरा रंग पहचानने वाला लाल, पीला, नीला, काला, या बैंगनी रंग की वस्तुओं में भेद कैसे करेगा? वह जीवन की बहुरंगी छटाओं को निहारने से मिलती सुखद अनुभूति से भी वंचित रहेगा। अजब-बजब होगी उसकी दुनिया! जीवन मुंह फुलाए रहने के निमित्त नहीं है: प्रभु ने हमें इहलोक में इसकर नहीं भेजा कि मुंह लटकाए […]

कम बोलें; झमेले, लफड़े भी कम होंगे

कम बोलेंगे तो शब्दों में वजन ज्यादा होगा। ज्यादा बोलना मतलब ज्यादा फंसाद, कलह और मनमुटाव। शब्द ऊर्जा है, इसे बेहतरीन कार्य के लिए संरक्षित रखें। जहां कम से काम चल जाए वहां अतिरिक्त ऊर्जा क्यों खर्ची जाए।   शब्द और मौन शब्द मनुष्य के विचार और भावना के आदान-प्रदान का प्रभावी वाहन हैं। लिखित […]

उन बेचारों को अवसर ही नहीं मिले …

जो बेचारे रहे, वे बेचारे ही रहेंगे। दुखी, अभिशप्त से। प्रभु और उनकी आयोजना पर उन्हें विश्वास नहीं था। इसके विपरीत, प्रभु की न्यायप्रियता के प्रति आश्वस्त व्यक्ति के हृदय में आशा, उल्लास और हर्ष का दीप बुझ ही नहीं सकता। समर्थ व्यक्ति भाग्य को नहीं कोसेगा:  कामयाबी, प्रसिद्धि और आनंद के उत्कर्ष तक वे पहुंचे […]

स्पर्श की करामाती ताकतें वैज्ञानिक तर्ज पर विकसित करना जरूरी

जिन संतानों को शैशव या बचपन में माबाप का पर्याप्त स्नेहिल स्पर्श नहीं मिला उनका भावनात्मक व मनोवैज्ञानिक विकास ठीक से नहीं हुआ, और इसका खामियाजा आजीवन रहा। जिसे मां का दूध और दुलार नहीं मिले, संपूर्ण-स्वस्थ व्यक्तित्व के तौर पर वह कैसे निखरेगा? अपने भाव या मंशा जाहिर करने, रूठे को मनाने, भयभीत को […]

वक्त की नजाकत और इसकी रफ्तार

बूढ़े होगे तुम, मुझे क्या हुआ! मैं कितने सालों से बता रहा हूं, बुढ्ढ़ा वह है जो मुझसे पंद्रह साल बड़ा है! वक्त की नजाकत और इसकी रफ्तार को समझें। वक्त की नजाकत और इसकी रफ्तार को बूझना हर किसी के बस की नहीं। किसी का कटता नहीं, किसी का गुजरता नहीं। पचपन-साठ पार होने […]

क्या चिठ्ठी का जमाना लौटेगा?

चिठ्ठी में जो आत्मीयता और अंतरंगता झलकती है वह व्हाट्सऐप मैसेज में कहां? जिस तरह पुरातन वेशभूषा, खानपान, कलाकृतियों, तौरतरीकों आदि से प्यार उमड़ना शुरू हुआ है, हो सकता है पत्र-लेखने के दिन फिर जाएं। कल (9 अक्टूबर, सोमवार) विश्व डाक दिवस की सोच कर कुछ यादें ताजा हो रही हैं। विश्व के 192 सदस्य […]

जो भी चुनें, ठोक बजा कर चुनें

‘जो राह चुनी तूने, उस पे चलते जाना रे’ सत्तर के दशक की लोकप्रिय फिल्म तपस्या का यह गाना, ‘‘जो राह चुनी तूने …’’ आप में से बहुतेरों को भाया होगा। जिस धारणा, विचार या मान्यता को मनमंदिर में प्रतिष्ठित कर देंगे उससे वापसी असंभव सी हो जाती है। एकबारगी के निर्णय के अंजाम से […]

जिंदगी के रंगों का लुत्फ लेने से न चूकें

प्रकृति में कुछ नहीं जो रंगीन नहीं हो। रंग हैं जो जीवन में उत्साह, उमंग, उल्लास, खुशी और आशा का संचार करते हैं! रंग बोलते हैं, इनकी सुनें। रंगों के जरिए भावनाएं व्यक्त करें। रंगों का लुत्फ लेने से न चूकें। पल भर उस बेचारे की कल्पना करें जिसे सब कुछ नीला ही नीला दिखता, […]

चिंता करते रहने से समाधान और दूर चला जाता है

वे भाड़ में जा रहे थे। किसी सयाने ने जताया तो तपाक से बोले, ‘‘मुझे पता है! मुझे पीड़ा तब होती है जब दूसरों को यह पता चल जाए, या दूसरे सोचने लगें कि मैं भाड़ में जा रहा हूं।” सम्यता का तकाजा है, नाक कट जाए कोई बात नहीं, दूसरे को पता चल जाए […]

नए को अपनाने का अर्थ है जीवन से प्रेम, और इसमें आस्था

ससुर को बहू ने कहा, ‘‘पिताजी, आपके कुर्ते का सबसे ऊपर वाला बटन नहीं है, शायद टूट कर कहीं गिर गया। दीजिए, दूसरा लगाए देते हैं।“ जवाब मानो पहले से तैयार हो, ‘‘नहीं – रहने दो। कौन सा मुझे ड्यूटी पर या शादी ब्याह में जाना है। वैसे भी उम्र ढ़़ल गई समझो।“ बहू-बेटे दोनों […]

मशाल, दिए और कैंडिल जलते रहें ताकि जीवन की लौ मुरझाए नहीं

सभी पंथों, समाजों में दीप प्रज्वलन की सुदीर्घ परंपरा रही है। दिए का प्रकाश जहां तमाम अंधेरे को खत्म करता है वहीं इसका ध्यान हमें उस परम शक्ति से जोड़ता है जिसके हम अभिन्न अंग हैं। आज प्रकाश पर्व है। प्रकाश ज्ञान, उल्लास, प्रगति और हर्ष का प्रतीक है। दीप प्रज्वलन की सुदीर्घ परिपाटी दीप […]

तंबाखूः मुश्किलें तो बहुत हैं पर नकेल कसनी ही होगी

तंबाखू के प्रति लोगों और सरकार दोनों के दोगले रवैये से इसके प्रसार ओर सेवन पर नकेल कसना दुष्कर है। World No Tobacco Day 2023 बहुत से भारतीय घरों में मेहमान के स्वागत में उसके आते ही, और चाय नाश्ता या भोजन के उपरांत तंबाखू पेश करने की परिपाटी रही है। बयालीस साल पहले के […]

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