Category: हिंदी

पत्नियां पहले ही कम न थीं, लाकडाउन में तो पौ बारह

  भारतीय पत्नियां खुशी-खुशी, स्वेच्छा से या मन मार कर, कैसे भी चौका-चूल्हे के काम निबटाती रही हैं। यही कम न था उनके दादागिरी बनाए रखने और पुरुषों को हांकते रहने के लिए। लाकडाउन के मौजूदा दौर ने महिला शक्ति को और धार दी है। करेला नीम चढ़ा। अब घर और घरवालों के सारे कंट्रोल […]

लाकडाउन से बदल रहीं फिजाएं, अदाएं … देखते रहें

किसने सोचा था, ये दिन भी देखने होंगे? दिल्ली जमुनापार अपने आवासीय परिसर के सामने एक नामी स्कूल है, बीच में डीडीए का पार्क है, जिसकी दूसरी सरहद वाली सड़क दाईं ओर दिखते मेट्रो स्टेशन तक जाती है। लाकडाउन से पहले तक यह सड़क खासी गुलजार रहा करती थी। सुबह स्कूल खुलने पर और स्कूल […]

भारत में हर वर्ष होती है दो लाख किडनी, 50 हजार हृदय और इतने ही लीवर की दरकार!

देना नेकी का काम है, सभी समुदायों-पंथों में दाता का गुणगान किया जाता रहा है। इससे बड़ा दान क्या होगा जब आपके दिए से किसी को दिखने लगे या उसका मरणासन्न हृदय धड़कने लगे या निष्क्रिय किडनी कार्य करने लगे। इन पांच अंगों का प्रत्यारोपण प्राय: किया जाता है-किडनी, लीवर, हृदय, फेफड़े और अग्न्याशय (पैंक्रियाज)। […]

जीवन की लौ मुरझाए नहीं, इसीलिए दिए और कैंडिल जलते रहने चाहिएं

किसी भी पंथ का छोटा-बड़ा अनुष्ठान दीप प्रज्वलन बगैर संपन्न नहीं होता। अग्नितत्व की आराधना स्वरूप दीप प्रज्वलन से परालौकिक अनिष्टों-बाधाओं के निराकरण तथा नए कार्य के मंगलमय होने का विश्वास मनुष्य की आदिम प्रवृत्ति है। आदि समुदायों में रात्रिवेला में अग्नि के दायरे में सामूहिक नृत्य-गायन के माध्यम से हृदय के उद्गार साझा करने […]

कम बोलेंगे तो आपकी बात का वजन ज्यादा होगा

कम बोलेंगे तो आपकी बात को ज्यादा तवोज्जू दिया जाएगा। फिर भी बकर–बकर करने वालों की कमी नहीं। जहां एक वाक्य से काम चलता है वहां तीन, चार या पांच बोलने, और खामख्वाह की तकरार से आप अपना भी समय खराब करते हैं, दूसरों का भी।  घर आए मित्र को ताजा लिखी कविता के एक […]

जीवन में इंद्रधनुषी रंगों की उमंग

जीवन से प्रेम है तो रंगों से लगाव लाजिमी है।  जीवन में उल्लास, उमंगों और जीवंतता का संचार करते हैं रंग।  रंगों के पर्व  का आनंद लेने वालों से हिकारत न रखें। इनके लुत्फ से वंचित न हों। कभी सोचा है, कैसी होगी रंगों से विहीन दुनिया? सब कुछ श्वेत-श्याम होगा तो विभिन्न वस्तुओं की […]

प्रेम के छिड़काव से केवल प्रेमिका को नहीं, सभी को धन्य करें?

गजब की ताकत है प्रेम में। जो कार्य धनशक्ति, राजनैतिक शक्ति, बाहुबल के बस की नहीं वह सब प्रेम करवा सकता है। लेकिन जो प्रेम केवल प्रेयसी के लिए सुरक्षित है वह प्रेम नहीं, शुद्ध कामुकता है। आखिर एक धुआं वह है जो मंदिर से निकलता है, दूसरा श्मशान का होता है। दोनों की तासीर […]

इंसान के खुशनुमा जीवन की बढ़िया कुंजी बनती है शुक्रगुजारी

  जिस मुकाम पर आप आज हैं, वहां पहुंचने में सैकड़ों जाने-अनजाने व्यक्तियों, संगठनों का हाथ रहा है। यदि आप इनके प्रति शुक्रिया महसूस करने की आदत बनाते हैं तो आपकी जिदंगी स्वस्थ व खुशनुमा गुजरेगी। जो लोग जीवन को तोहफा मानते हैं, वे मन, शरीर व भावना से अधिक स्वस्थ रहते हैं। फिर भी […]

आसक्ति ईश्वर से हो जाए तो जीवन सफल हो जाता है

बस यात्रा बमुश्किल चार घंटे की थी। रास्ते में चायपान के बाद बस दोबारा चलने लगी तो दो यात्री एक ही सीट की दावेदारी में भिड़ गए। एक की दलील थी, सीट शुरू से उसी की थी, इसलिए गंतव्य तक इस पर उसी का अधिकार है। दूसरे की रट थी कि कम दूरी की बसों […]

समस्याओं से जूझने पर नई राह निकल ही आती है

जिंदगी में धूप-छांव के सिद्धांत को मानने वाले फूलों के साथ कांटों की मौजूदगी की शिकायत नहीं करते। यह संभव नहीं कि बिना अड़चन और चुनौतियों के दैनिक कार्य या विशेष कार्य संपन्न होते चले जाएं। जो इन अप्रिय, अप्रत्याशित घटनाओं से जूझने के लिए स्वयं को तैयार नहीं रखेंगे उनके लिए जीवन अभिशाप बन […]

पत्नियों की खुरंसः कितनी सही, कितनी नाजायज

बहुत सी पत्नियों की सुविचारित, दृढ़ मान्यता है कि उन सरीखा बुद्धिमान, सयाना, और उनके पति जैसा निकम्मा, वाहियात व्यक्ति दुनिया में नहीं मिलने वाला। महिलाई सोच का मुद्दा अत्यंत जटिल और अबूझ है, इसे समझने में बड़े-बड़े ज्ञानी, संत, विचारक और दार्शनिक गच्चा खा गए। इसी संबंध में हालिया मिले तीन व्हाट्सऐप मैसेज इस […]

एक पक्ष पूर्वजों के प्रति आभार ज्ञापन का: वार्षिक श्राद्ध

नतमस्तक होना, विनम्र रहना और कृतज्ञता का भाव रखना भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है। पुरखों, मातापिता सहित उन सभी व्यक्तियों और संस्थाओं के प्रति ऋणी रहने का भाव — जिनका हमारे जन्म, हमारी परवरिश, शिक्षा तथा आजीविका प्रदान करने में योगदान रहा — हमारे जीवन को सार्थक और बेहतर बनाता है। इस दृष्टि […]

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