जो अपने पास है, उसकी कद्र करें; दुनिया रंगीन हो जाएगी
नया चाहे दूसरे का हो या अपना, आकर्षित करता है। आपके पास क्या है, इसकी सूची बनाएं। आपकी आज की स्थिति के लिए अनेक लोग तरस रहे हैं। पड़ोस के शर्माजी ने नई कार क्या खरीदी कि वर्मा परिवार की नींद उड़ गई, उन्हें सपरिवार अपनी आठ वर्ष पुरानी कार खटारा लगने लगी। पत्नी आए […]
उन बेचारों को अवसर ही नहीं मिले …
जो बेचारे रहे, वे बेचारे ही रहेंगे। दुखी, अभिशप्त से। प्रभु और उनकी आयोजना पर उन्हें विश्वास नहीं था। इसके विपरीत, प्रभु की न्यायप्रियता के प्रति आश्वस्त व्यक्ति के हृदय में आशा, उल्लास और हर्ष का दीप बुझ ही नहीं सकता। समर्थ व्यक्ति भाग्य को नहीं कोसेगा: कामयाबी, प्रसिद्धि और आनंद के उत्कर्ष तक वे पहुंचे […]
स्पर्श की करामाती ताकतें वैज्ञानिक तर्ज पर विकसित करना जरूरी
जिन संतानों को शैशव या बचपन में माबाप का पर्याप्त स्नेहिल स्पर्श नहीं मिला उनका भावनात्मक व मनोवैज्ञानिक विकास ठीक से नहीं हुआ, और इसका खामियाजा आजीवन रहा। जिसे मां का दूध और दुलार नहीं मिले, संपूर्ण-स्वस्थ व्यक्तित्व के तौर पर वह कैसे निखरेगा? अपने भाव या मंशा जाहिर करने, रूठे को मनाने, भयभीत को […]
मिट्टी का दिया है, तभी दीवाली है
कितना भी कर लें, कागजी फूल कुदरती फूलों का लुत्फ कभी न दे पाएंगे! दिवाली में मिट्टी के दियों का प्रयोग न केवल एक सुदीर्घ सांस्कृतिक प्रथा को संरक्षित करता है बल्कि स्वदेशी उद्योगों और मूल्यों को संवर्धित करता है।
बड़े कार्य विनम्रता से सधते हैं, बलपूर्वक नहीं
पूजा-अर्चना आत्मविकास की श्रेष्ठ विधि है किंतु लक्ष्य यदि शक्ति अर्जित करना है तो व्यक्ति सही गंतव्य तक नहीं पहुंच सकेंगे। सुफल उसी कार्य का मिलता है जो स्वेच्छा से, बगैर बाहरी बल या प्रभाव के निष्पादित संपन्न होता है। अटके काम कैस सुलझाएंः मामला सरकारी महकमे का हो, घर-परिवार, समाज या कारोबार में उलझन […]
वक्त की नजाकत और इसकी रफ्तार
बूढ़े होगे तुम, मुझे क्या हुआ! मैं कितने सालों से बता रहा हूं, बुढ्ढ़ा वह है जो मुझसे पंद्रह साल बड़ा है! वक्त की नजाकत और इसकी रफ्तार को समझें। वक्त की नजाकत और इसकी रफ्तार को बूझना हर किसी के बस की नहीं। किसी का कटता नहीं, किसी का गुजरता नहीं। पचपन-साठ पार होने […]
शब्दों से धोखा हो सकता है; मौन, हावभाव और संकेतों से सत्य को बेहतर जान सकते हैं
विडंबना है कि प्रत्येक भाव या विचार के लिए शब्द नहीं हैं। फलस्वरूप जो भी शब्द कौंधें, वही उडेल दिए जाते हैं जिससे प्रायः विवाद उत्पन्न हो जाते हैं। इसीलिए दूसरे की मंशा जानने के लिए हावभाव तथा संकेतों को समझना बेहतर रहता है। आदि मानव को भले ही शब्द और भाषा का ज्ञान न […]
क्या चिठ्ठी का जमाना लौटेगा?
चिठ्ठी में जो आत्मीयता और अंतरंगता झलकती है वह व्हाट्सऐप मैसेज में कहां? जिस तरह पुरातन वेशभूषा, खानपान, कलाकृतियों, तौरतरीकों आदि से प्यार उमड़ना शुरू हुआ है, हो सकता है पत्र-लेखने के दिन फिर जाएं। कल (9 अक्टूबर, सोमवार) विश्व डाक दिवस की सोच कर कुछ यादें ताजा हो रही हैं। विश्व के 192 सदस्य […]
धैर्य रखें; जो ठीक नहीं है, वह भी ठीक हो जाएगा
बुलंदी पर चढ़ते शख्स को देख कर न भूलें, इसके पीछे दिन-रात की जीतोड़ मेहनत, लगन, और सब्र का माद्दा रहा है। जब अन्य लोग पार्टियों, पिकनिक तथा अन्य रंगरेलियों में मशगूल थे, तब ये इत्मीनान से अपने मिशन में डूबे रहते थे। दिशा सही है तो आपको केवल सब्र रखना है। सफलता के गंतव्य […]
जो भी चुनें, ठोक बजा कर चुनें
‘जो राह चुनी तूने, उस पे चलते जाना रे’ सत्तर के दशक की लोकप्रिय फिल्म तपस्या का यह गाना, ‘‘जो राह चुनी तूने …’’ आप में से बहुतेरों को भाया होगा। जिस धारणा, विचार या मान्यता को मनमंदिर में प्रतिष्ठित कर देंगे उससे वापसी असंभव सी हो जाती है। एकबारगी के निर्णय के अंजाम से […]
नाम के पीछे दौड़ते रहेंगे तो न काम ढ़ंग से होंगे, न ही नाम होगा
जो नाम या वाहवाही के पीछे दौड़ते रहे उनके कार्य सही से नहीं निबटे, न ही उनका नाम हुआ। बल्कि जीवन की संध्या में उन्हें हताशा ही हाथ लगी। वाहवाहियां क्या हैं –कार्य पर ध्यान रखने का स्वाभाविक प्रतिफल।
आसन व स्थान की महिमा संगत में आने वालों को भी धन्य करती है
जिस आसन को निष्ठावान साधक ग्रहण करता है उसके गिर्द का परिक्षेत्र ऊर्जा से परिपूर्ण हो जाता है। इस परिधि में आने वाले व्यक्ति के भीतर भी ईश्वरीय शक्ति के संचरण होता है और वह धन्य होता है। कण्वनगरी में कथा बांचते युवा महंत संतों, कथावाचकों के चरणों पर लेट कर माथा टेकते भक्तों […]