आपकी मां आपसे संतुष्ट तो हैं?
याद रहे, आपका जीवन उसी अनुपात में सुखद और संतुष्टिदाई रहेगा जिस हद तक आपकी मां आपसे संतुष्ट रहीं।
दूसरों को सम्मान देने वाला ही सम्मान पाने का अधिकारी होता है
बंद करिए फालतू के ऐलान – मैं आपकी बहुत इज्जत करता हूं। हर किसी के बस की नहीं है किसी को इज्जत बख्शना, पहले अपने भीतर झांकना होता है। मत करिए किसी की इज्जत, अपनी जबान को तो गंदा मत कीजिए। देहात में अकेले बसर करते बुजुर्ग खाने के बाद झपकी ले रहे थे कि […]
शत शत नमन योग्य है धरती मां
आदि काल में पृथ्वी की संकल्पना अंतरिक्ष में मात्र एक ग्रह के रूप नहीं बल्कि समस्त ब्रह्मांड के बीचों बीच स्थित महाग्रह के रूप में की गई। सूर्य सहित सभी ग्रहों-उपग्रहों की भूमिका श्रेष्ठतम पृथ्वी के मुकाबले गौण समझी जाती थी। भारतीय धारणा की भांति यूनानी, चीनी आदि पुरातन संस्कृतियों में देखे-समझे जा सकने […]
मालूम है, आप सदा व्यस्त रहते हैं, लेकिन कहां – सवाल यह है
आप अस्त-व्यस्त — माफ करें — जरूरत से ज्यादा व्यस्त तो नहीं रहते। कार्य की चिंता अवश्य करें। किंतु ऐसे कार्य में व्यस्त रहने का अभ्यास करें जिसका मतलब बने, जो करने के बाद आपको आनंद और संतुष्टि मिलती रहे। बच्चे से बूढ़़े तक, कार्य या व्यवसाय कोई भी हो, सारा दिन बतियाते, बैठेठाले गुजरता […]
अमृत तुल्य जल पर टिका है जीवन का दारोमदार
प्राणदाई पोषण से कहीं परे, जल रहस्यमय, दैविक गुणों से परिपूर्ण अस्मिता है और सभी पंथों में श्रद्धेय। इसके अविवेकपूर्ण उपयोग से सर्वत्र हाहाकार की नौबत आने को है अतः हमें सचेत होना पड़ेगा। जल है तो जीवन है। यह समस्त प्राणि और वनस्पति जीवन का आधार है। पृथ्वी की सतह का करीब 71 प्रतिशत […]
आप जितना खुश हैं उससे ज्यादा खुश रह सकते हैं
खुश कौन नहीं रहना चाहता? और अपने हिसाब से, खुशनुमां जिंदगी गुजारने के लिए क्या-क्या जुगाड़ नहीं करता। नाना प्रकार की योजनाएं बनाता है; बैठने, सोने, आवागमन को सुकर बनाने के लिए एक से एक सुविधाएं और साधन जुटाने की उधेड़बुन में जकड़ा रहता है; आवास और कार्यस्थल को मनभावन तरीकों से सुसज्जित करता है। […]
वाहवाही बटोरने की तड़पन
डिग्रियां, तगमे, फीतियों, मेडलों, अलंकरणों की चाहत से लोग विक्षुप्त हो रहे हैं। जिनका समूचा ध्यान बाहरी छवि निखारने और वाहवाही बटोरने में रहेगा क्या वह कार्य में चित्त लगा सकता है? उल्टा टोप, उल्टी जैकेट या नई अजीबोगरीब डिजाइन वाली शर्ट का फोटो फेसबुक में डाल कर वाहवाहियों की झड़़ी न लगने से लोग […]
स्वदेशी भाषाओं के संवर्धन का अर्थ विदेशी भाषाओं का तिरस्कार नहीं है
निजी भाषा को भरपूर व्यवहार में लाना व्यक्ति और समाज के चहुमुखी विकास के लिए अनिवार्य है। भारत में प्रचलित 1600 भाषाओं में से अधिकांश की समृद्ध मौखिक या/और लिखित परंपराएं हैं, ये सभी जीवंतता व विविधता से परिपूर्ण हैं। इन स्थानीय भाषाओं ने सदियों तक लोकजीवन में प्राण संचारित करते हुए जनमानस को उद्वेलित, आह्लादित, […]
दिशा सही न हो तो ज्ञान, हुनर, धन – सब धरा रह जाएगा, न ही मंजिल मिलेगी
महाज्ञानी हैं, समझदार हैं, सूझबूझ में कमी नहीं फिर भी वह नहीं हासिल कर पाए जिसके अरमान दिल में सदा संजोए गए थे। क्योंकि दिशा सही न थी। दूसरी बात – जितना जल्द दिशा तय कर लेंगे उसी मात्रा में शेष जीवन आनंद और संतुष्टि से जी सकेंगे। सूटबूट में एक व्यक्ति सड़क किनारे पालथी […]
बेशक मेलजोल बिना गुजर नहीं किंतु बड़े कार्य अकेले ही संपन्न होते हैं
लोगों का काम है कहना! आपने जिस सन्मार्ग का चयन किया है, आश्वस्त हो कर चलते रहना है। तभी आपको मंजिल मिलेगी। कंपनी के कार्य से अपने एक मित्र को अक्सर शहर से ढ़ाई सौ कि.मी. दूर दो-तीन दिनों के लिए जाना होता था। हर बार वे गुपचुप रोज देर रात तक घर लौट आते […]
जितना दिखाई पड़़े, उससे परे देखना होगा
समान आयु, जिम्मेदारी, आमदनी, पारिवारिक-आर्थिक परिस्थितियों के दो व्यक्तियों में से एक हंसता-खिलखिलाता, स्वस्थ, कमोबेश संतुष्टिमय जीवन बिता रहा होता है तो दूसरा विपन्नता और चिंताओं में ग्रस्त, जैसे तैसे दिन काटता है। इतना फर्क आ जाता है तो व्यक्ति की सोच के कारण। एकबारगी जिस सांचे में ढ़ल जाएंगे उसमें तब्दील दुष्कर होगी। […]
किसी जरूरतमंद की दुनिया आप भी रोशन कर सकते हैं, नेत्रदान से
आपकी महानता इसमें नहीं कि आपके पास क्या है, बल्कि इसमें है कि आप दूसरों को क्या देते हैं। वैसे भी, जिस अनुपात में देंगे उसी अनुपात में वापस मिलेगा। जरा सी देर के लिए घुप्प अंधेरा छा जाने से आप पर क्या बीतती है। कभी सोचें, जिन्हें जन्म से या किसी दुुुर्घटनावश आंशिक या […]