Category: हिंदी

शारीरिक अपंगता से ज्यादा खतरनाक है वैचारिक अपंगता

दशकों पुराने आबिद सुरती के एक कार्टून में, एक पिता अपने बेटे की जबरदस्त धुनाई करते दिखता है। पड़ोसी के पूछने पर बताते हैं, ‘‘कल इसका रिजल्ट आने वाला है और तब तक मैं इंतजार नहीं कर सकता”। घंटी बजाने पर दरवाजा तुरंत न खुलना, रेस्तरां में ऑर्डर की आइटमें प्रस्तुत होने में देरी, झट […]

जिसने मलाई मार कर (यानी दूसरे के हिस्से का) नहीं खाया उसकी बुद्धि कुशाग्र नहीं हुई

ऊपर से जो मिले उसका मजा अदभुद, चिरस्मरणीय रहता है पढ़ाई में मुन्नी के अव्वल रहने में किसी को संदेह नहीं था, सभी विषयों में उसे आत्मविश्वास भी था। फिर भी उसकी मां रोज मुन्नी को फुसलाती, मिन्नत करती कि बड़े भाई का ट्यूशन टीचर निकलने लगे तो चलते चलते उससे कुछ भी पूछ लेना। […]

कर्मवीरों के लिए सुरक्षित हैं दुनिया की तमाम सुख-सुविधाएं

वीरभोग्या वसुंधरा। विश्व की तमाम बेहतरीन सुविधाएं और वस्तुएं उन्हीं के लिए सुरक्षित हैं जो अपने कार्य में व्यस्त हैं, आरामपरस्तों के लिए नहीं। कर्मवीर व्यक्ति जानता है कि किसी भी मशीन की भांति जिन अंगों-प्रत्यंगों या हुनरों को व्यवहार में नहीं लाया जाता उनकी कार्यशीलता क्षीण होते होते एक दिन ठप्प हो जाएगी। वह अपने […]

बोर्ड परीक्षा के नंबरों ने एकबारगी फिर किया छात्रों को बाग बाग

बोर्ड परीक्षाओं में धांसू प्रदर्शन से छात्रगण झूम उठे हैं, उनके मातापिता की बांछे खिल गई हैं। बच्चों के छप्परफाड़ परिणामों से परिजन भी इतरा रहे हैं। यह भी सिद्ध हो गया कि देश का अकादमिक भविष्य उज्ज्वल है। हमारे 1970 के जमाने के बेरहम, सख्तमिजाज परीक्षकों की आत्माएं आज के परिदृश्य को देख तड़प […]

जो भी है, बस यही पल है; जो करना है, अभी कर डालो

अपना स्कूली शिक्षा, उसके बाद का दौर भी फुरसतिया था। अब नर्सरी के बच्चे से ले कर रिटायर हो चुके को, पूर्णतया गृहकार्य संभालती महिलाओं सहित किसी को घड़़ी भर की फुर्सत नहीं। खुचरा ढूंढ़ते एक मिनट हो जाए तो भिखारी भी यह कहते आगे बढ़ जाएगा – “इतना टैम नहीं”। जिसने जिंदगी में लक्ष्य […]

बाबा रामदेव – योगी से लाला भयो

वक्त-वक्त की बात है। बाबा रामदेव को आज योगगुरु बतौर उतना नहीं जानते जितना दन्तकान्ति, केश निखार, शैंपू, पतंजलि घी जैसे लोकप्रिय ब्रांडों के स्टार प्रचारक के रूप में। हरियाणा में जन्मे 56 वर्षीय बाबा रामदेव (मूल नाम रामकृष्ण यादव) ने 8वीं पढ़ने के बाद भारतीय शास्त्रों, ग्रंथों और योग की शिक्षा-दीक्षा ली। आचार्य बालकृष्ण […]

संगीत की अथाह शक्तियों का लाभ जनहित में कैसे हो?

थाॅमस कार्लाइल कहते थे, संगीत देवदूतों की वाणी है। संगीत आदिकाल से विभिन्न संस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक अनुष्ठानों का अभिन्न अंग रहा है। अब त्यौहारों, शादियों व अन्य समारोहों की शोभा संगीत से है। यह गहरी निद्रा में सोये को झकझोर कर जगा देता है और अनिद्रा से बेचैन को सुला देता है। नटखटी, नखरे वाले […]

पुरखों, पित्रों से जुड़ाव हमारा जीवन संवार देता है

अपनी जड़ों यानी पुरखों, दिवंगत या जीवित मातापिता, घर-परिवार से जुड़ा व्यक्ति उस तानेबाने की अथाह शक्तियों से लाभान्वित होगा जिस कड़ी का वह अंतिम अंश है। निस्संदेह ज्वलंत इच्छा, अथक प्रयास और कर्मठता के बूते किसी भी नस्ल, पंथ या वर्ग का व्यक्ति चयनित क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित करता है। तथापि अभीष्ट को पाने […]

पोषण से कहीं ज्यादा सांसों पर है सेहत का दारोमदार, जी हां! इनकी फिक्र करें

कोविड से निबटने के लिए पिछले कुछ महीनों तक ऑक्सीजन के लिए मचे हाहाकार का बड़ा संदेश है कि जीवन पंचतत्वों में एक वायु के प्रति अपनी दृष्टि में सुधार करें। साधु वृत्ति के अपने एक संबंधी थे, 93 वर्ष की आयु में, 2008 में चल बसे थे। आखिरी दिनों तक ओजस्वी, एकदम स्वस्थ, जिंदादिल, […]

आपका कहा-लिखा दूसरों के सर-आंखों पर रह सकता है बशर्ते …

चुनावी बयानबाजियों, बाजार में बिक्री बढ़ाने और रोजमर्रा की जिंदगी में अपना उल्लू साधने के लिए अमूनन शब्दों की जादूगरी का जम कर इस्तेमाल होता है। शब्द ऊर्जा है, इनका प्रयोग जितना सोच विचार कर करेंगे उतना ही वे वजनदार होंगे और आपकी शख्सियत में चार चांद लगाएंगे। शब्दों की उत्पत्ति दैविक, और इनका स्वरूप […]

जिंदगी के सुखों का दारोमदार मेलभाव पर है

सिद्धपुरुषों की बात अलहदा है जो कई दिन, हफ्ते, महीने बल्कि ज्यादा भी एकांत में सुकून से जी लेते हैं। सांसारिक लोगों को पग पग पर एक दूसरे का संबल चाहिए। दूसरों को अपना समझने की फितरत बन जाएगी तो जीवन आनंदमय हो जाएगा। मनुष्य की मूल प्रवृत्ति एकाकी है। वह दुनिया में अकेला आता […]

कोरोना, अब बस इक तू ही तू है

आप कुशल हैं, स्वस्थ हैं, यह तब माना जाएगा जब आप कोरोना-मुक्त होंगे। कोरोना से इतर कोई बीमारी बीमारी नहीं मानी जाएगी। कोरोना और उसके बिरादरों ने दस्तक क्या दी कि अन्य क्लासिकल बीमारियां खौफ से लुप्त हो गईं। मार्च 2020 से पहले की जानलेवा दिल व श्वसन की बीमारियां, टीबी, एचआईवी, वगैरह बेधड़क कहीं […]

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