सीमा प्रहरियों के समादर का अर्थ देश की माटी का सम्मान है
जान है तो जहां है। कुशल रहेंगे तभी कोई कार्य निबटाने और मनचाहा हासिल करने की गुंजाइश रहेगी। स्वयं की हिफाजत को सर्वोपरि मानते हुए पिछली पीढ़ी प्रायः अपनी संतति को चिट्ठी की शुरुआत इस हिदायत से करती थी, ‘‘पहले आत्मरक्षा, बाद में अन्य कार्य’’। बेहतरी के लिए आवश्यक है कि मन और चित्त में […]
जिंदगी के सुख ‘नाम’ के पीछे भागने से नहीं, कर्म से मिलेंगे
नाम के पीछे पगलाने वालों की कमी नहीं, एक ढूंडोगे दस मिलेंगे, दूर ढूंडोगे पास मिलेंगे। नाम के बदले काम पर ध्यान रहने की फितरत बन जाए तो व्यक्ति की दुनिया रंगीन और आनंदमय हो जाएगी। मजे की बात, तब नाम स्वतः ही मिल जाएगा। जब नाम रखने का लमहा आता है, चाहे नवजात बच्चे […]
आप हमेशा शिकायती मुद्रा में तो नहीं रहते
आपको हर किसी से शिकायत रहेगी तो थोपड़ा गुमसुम रहने लगेगा और लोग आपसे कतराने लगेंगे। इस प्रक्रिया में आपका चैन तो छिनेगा ही, जरूरी काम भी नहीं सलटेंगे। घर में परिवार के मुखिया से, या कार्यस्थल में अधिकारी या अधीनस्थ कर्मियों से सदा शिकायत करने वाले नहीं समझते कि कोई घर, या किसी संगठन […]
लाकडाउन रहे या न रहे, व्यस्त रहेंगे तो फालतू के विचार नहीं आएंगे
लाकडाउन के मौजूदा दौर में बच्चे बेसब्र हैं, स्कूल कब खुलेंगे? मम्मी से मैडम ही भली। अनेक देशों में महिलाएं कौंसलरों के पास भारी संख्या में यह शिकायत ले कर आ रही हैं कि उनके पति उसकी मर्जी के खिलाफ ज्यादती और प्रताड़ना करते हैं। यदि जिंदगी में कोई एजेंडा होगा तो खालीपन की […]
लाकडाउन से बदल रहीं फिजाएं, अदाएं … देखते रहें
किसने सोचा था, ये दिन भी देखने होंगे? दिल्ली जमुनापार अपने आवासीय परिसर के सामने एक नामी स्कूल है, बीच में डीडीए का पार्क है, जिसकी दूसरी सरहद वाली सड़क दाईं ओर दिखते मेट्रो स्टेशन तक जाती है। लाकडाउन से पहले तक यह सड़क खासी गुलजार रहा करती थी। सुबह स्कूल खुलने पर और स्कूल […]
जीवन की लौ मुरझाए नहीं, इसीलिए दिए और कैंडिल जलते रहने चाहिएं
किसी भी पंथ का छोटा-बड़ा अनुष्ठान दीप प्रज्वलन बगैर संपन्न नहीं होता। अग्नितत्व की आराधना स्वरूप दीप प्रज्वलन से परालौकिक अनिष्टों-बाधाओं के निराकरण तथा नए कार्य के मंगलमय होने का विश्वास मनुष्य की आदिम प्रवृत्ति है। आदि समुदायों में रात्रिवेला में अग्नि के दायरे में सामूहिक नृत्य-गायन के माध्यम से हृदय के उद्गार साझा करने […]
जीवन में इंद्रधनुषी रंगों की उमंग
जीवन से प्रेम है तो रंगों से लगाव लाजिमी है। जीवन में उल्लास, उमंगों और जीवंतता का संचार करते हैं रंग। रंगों के पर्व का आनंद लेने वालों से हिकारत न रखें। इनके लुत्फ से वंचित न हों। कभी सोचा है, कैसी होगी रंगों से विहीन दुनिया? सब कुछ श्वेत-श्याम होगा तो विभिन्न वस्तुओं की […]
प्रेम के छिड़काव से केवल प्रेमिका को नहीं, सभी को धन्य करें?
गजब की ताकत है प्रेम में। जो कार्य धनशक्ति, राजनैतिक शक्ति, बाहुबल के बस की नहीं वह सब प्रेम करवा सकता है। लेकिन जो प्रेम केवल प्रेयसी के लिए सुरक्षित है वह प्रेम नहीं, शुद्ध कामुकता है। आखिर एक धुआं वह है जो मंदिर से निकलता है, दूसरा श्मशान का होता है। दोनों की तासीर […]
आत्ममुग्धता का मारक जुनून – सेल्फी की लत
आज सात साल की लड़की को भी बालों के हेयर पिन और माथे की बिंदी से नीचे सैंडिल तक मैचिंग चाहिए, दूसरों से 18 मंजूर नहीं! अधिकांश महिलाएं जानती हैं कि पिछली शादी की सालगिरह या जन्मदिन में उसकी ननद, भाभी, जेठानी या बहन ने किस मेटीरियल, डिजाइन, रंग और कीमत की साड़ी पहनी थी। […]
अब भी देर नहीं हुई, आप भी सुनिए भीषण जल संकट की डरावनी आहट
दो दशक पहले तक किसी ने नहीं सोचा होगा कि पानी की कीमत पेट्रोल या दूध को पछाड़ देगी। तेजी से बढ़ती आबादी और जल संसाधनों की सीमित उपलब्धता के चलते विश्व के अधिकांश देश दशकों से निरापद पेयजल की किल्लत से जूझ रहे हैं। विश्व बैंक के उपाध्यक्ष इस्माइल सैरागेल्डिन ने 23 वर्ष पहले […]
मनुष्य निपट एकाकी जीव है, और सामुदायिक भी!
मनुष्य का असल स्वरूप क्या है? उसका नितांत एकाकीपन या समूह की इकाई बतौर? इतिहास बार-बार पुष्टि करता रहा है कि समाज को किसी भी क्षेत्र में जो सर्वोत्तम हासिल हुआ है वह किसी व्यक्ति की एकाकी सोच के बूते। उस परमशक्ति का प्रतिरूप होने के नाते प्रत्येक मनुष्य को वह काबिलियत और शक्तियां कुदरती तौर […]
शक्ति और सामर्थ्य जिम्मेदारियां बेहतर निभाने के साधन बनने चाहिएं
स्वयं को सशक्त बनाने के आह्वान में स्वामी विवेकानंद ने कहा, ‘‘जीवन नाम है शक्ति का, निर्बलता मृत्यु की ओर ले जाती है’’; उनका आशय था जीवंतता और हौसले जीवन को जड़ नहीं होने देते, और इनके अभाव में जीवन बुझा, नीरस हो जाएगा। शक्तिसंपन्न व्यक्ति जीवनपथ में यदाकदा पसर जाती मुश्किलों और विडंबनाओं के […]