नर्सें राजी-खुशी होंगी तो देखभाल बेहतर मिलेगी
कोविड काल में नर्सों ने जिस निष्ठा से अपना दायित्व निभाया, दुनिया ने उनका लोहा माना और उन्हें कोरोना योद्धा की संज्ञा से नवाजा। जरूरत है उन्हें यथोचित सम्मान मिले! अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्रों में दिनरात मरीज तथा अन्य जरूरतमंदों की टहल में कोई निरंतर व्यस्त पाया जाता है तो वह नर्स है। बीमारी या […]
मन को समझाएं, शरीर तो इसका आज्ञाकारी सेवक है
इस प्रकार की बातें आप बहुधा सुनते होंगे – “वजन कम करना मेरे बस में नहीं है।“ “कितनी भी भूख हो, मैं फांका कर लूंगा पर खरबूजा नहीं खा सकता।“ “मुझे तोरी की सब्जी से एलर्जी हो जाती है।“ “कॉफी पीने के बाद मुझे नींद नहीं आती।“ “बस की यात्रा में मुझे उल्टी आनी ही […]
युवाओं को भी नहीं बख्श रहीं दिल की बीमारियां
अफसोस है, जिस देश की ओर समूची दुनिया सुख-चैन के लिए शरण लेती रही है वहां की 20 प्रतिशत जनसंख्या हृदय रोगों की चपेट में है। दिल की बीमारियां खास कर 30-40 आयु वर्ग के युवाओं में तेजी से बढ़ रही हैं। खतरे की घंटी है यह, चूंकि यह वह वर्ग है जिस पर समाज […]
आपकी सेहत का खयाल आप से बेहतर कोई कैसे, और क्यों रखेगा?
बीमार पड़ते ही क्या आप तुरंत अस्पताल का या उन डाक्टरों का रुख तो नहीं कर लेते जिनकी नजर आपको दुरस्त करने में नहीं, आपसे कितना झटका जा सकता है इस पर रहती है। याद रहे, ज्यादातर बीमारियां का उपचार आप स्वयं, साधारण बुद्धि से कर सकते हैं। देश का स्वास्थ्य परिदृश्य जर्जर है। घर, […]
कैंसर से बचाव के लिए कुदरत की ओर मुखातिब होना पड़ेगा
हर छोटे-बड़े शहर में ढ़ेरों कैंसर के अस्पताल न मिलें तो उन अस्पतालों में कैंसर के विभाग जरूर होंगे। वजह – यह बीमारी बेतहाशा तेजी से इसलिए बढ़ रही है चूंकि हमारा खानपान, खाने-पीने के तौर तरीके बनावटी हो गए हैं। इस भयावह बीमारी से बचाव स्वयं को कुदरती जीवन में ढ़ालने से ही संभव […]
अपंगों से ज्यादा पंगु तो नहीं हो रहा हमारा समाज?
पंगुता के बाबत पहले यह जान लें कि केवल वही “अपंग” नहीं जिसमें शारीरिक विकृति है। मन और चित्त की दुरस्ती उतनी ही अहम है। बल्कि मानसिक विकृति या अपंगुता ज्यादा चिंता की बात है, इसमें तेजी से इजाफा जो हो रहा है। दूसरा, अपंग कहे जाने वालों की खूबियों-हुनरों की अनदेखी करने वालों का नजरिया […]
ठीक खाएं और ठीक से खाएंः अन्न के एक-एक अंश का लाभ मिलेगा
शादी के मंडप में खानपान काउंटर पर दो बच्चों को साथ लिए ओट में खड़ी एक महिला पर नजर पड़ी। उसके हाथ की प्लेट में ज्यादा नहीं तो दस-बारह ठीक साइज़ के गुलाब जामुन रहे होंगे। वह जबरन एक-एक पीस बच्चों के मुंह में ठूंस रही थी। कुछ खा चुकने के बाद बच्चे आनाकानी कर […]
भारत में हर वर्ष होती है दो लाख किडनी, 50 हजार हृदय और इतने ही लीवर की दरकार!
देना नेकी का काम है, सभी समुदायों-पंथों में दाता का गुणगान किया जाता रहा है। इससे बड़ा दान क्या होगा जब आपके दिए से किसी को दिखने लगे या उसका मरणासन्न हृदय धड़कने लगे या निष्क्रिय किडनी कार्य करने लगे। इन पांच अंगों का प्रत्यारोपण प्राय: किया जाता है-किडनी, लीवर, हृदय, फेफड़े और अग्न्याशय (पैंक्रियाज)। […]
जन-मन पर हावी सरोकारों, मंसूबों की पड़ताल का वक्त
बाजार में एक आदमी को कुछ नाटकीय करने की सूझी। वह एक खंभे के पास खड़ा हो कर, मुठ्ठी भींच कर, उसके बीच देखने की जगह बना कर आसमान में टकटकी लगाए था। चंद मिनटों में वहां भारी मजमा लग गया गया। उसने जो साड़ी पहनी है, उसके पास जो मोबाइल या गाड़ी है, मुझे […]
शारीरिक कलाकारियों से ऊपर हैं योग के मायने
भारतीय उद्गम के योग का लोहा दुनिया मान गई है। क्या हम अभी भी नहीं चेतेंगे? चीनी दार्शनिक लाओत्जे से पूछा गया, आपके सुखी जीवन का राज क्या है। जवाब मिला, ‘‘जब भूख लगती है तो खा लेता हूं, नींद आती है तो सो जाता हूं।’’ जिज्ञासु पहले हकबक था, फिर तपाक से बोला, ‘‘यह […]
मां का दूधः बच्चे के लिए कुदरत का नायाब तौहफा
अनेक परीक्षणों के बाद, कुछ दशक पूर्व ही विज्ञान ने स्तनपान की आदिकाल से चली आई प्रथा पर मुहर लगाते हुए ऐलान किया कि बच्चों के पोषण और उनके शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक विकास के लिए मां के दूध का तोड़ नहीं है। इसे विडंबना ही कहेंगे कि माताओं और परिजनों की अज्ञानता या नासमझी […]