अपंगों से ज्यादा पंगु तो नहीं हो रहा हमारा समाज?

पंगुता के बाबत पहले यह जान लें कि केवल वही “अपंग” नहीं जिसमें शारीरिक विकृति है। मन और चित्त की दुरस्ती उतनी ही अहम है। बल्कि मानसिक विकृति या अपंगुता ज्यादा चिंता की बात है, इसमें तेजी से इजाफा जो हो रहा है। दूसरा, अपंग कहे जाने वालों की खूबियों-हुनरों की अनदेखी करने वालों का नजरिया […]

यों ही नहीं जलाए जाते दिए और कैंडिल

सभी पंथों, समाजों में दीप प्रज्वलन की सुदीर्घ सांस्कृतिक परंपरा रही है। दिए का प्रकाश जहां तमाम अंधेरे को खत्म करता है वहीं इसका ध्यान हमें उस परम शक्ति से जोड़ता है जिसके हम अभिन्न अंग हैं।

बेहतरी के लिए लिए बाह्य जगत और अंतःकरण के बीच सांमजस्य बैठाना होगा

जिसने कहा, ‘‘गए जमाने में मरने के बाद आत्माएं भटकती थीं; अब आत्माएं मर चुकी हैं, शरीर भटकते हैं’’ उसका आशय था, आज का व्यक्ति स्वयं से इतना भयभीत रहता है कि उसे अंतःकरण से रूबरू होने का साहस नहीं होता। आत्ममंथन और पुनर्विचार से उसे सिरहन होती है। बाहरी छवि और प्रतिष्ठा के निखार […]

स्वयं को अकेला समझने की भ्रांति न रहे, प्रभु सदा आपके साथ होते हैं

  अप्रिय, विकट या असह्य परिस्थिति में अनेक व्यक्ति स्वयं को नितांत अकेला और बेबस महसूस करते हैं। एकाकीपन की वेदना में कुछेक आवेग में जघन्य कृत्य तक कर डालते हैं हालांकि मामला सामान्य था। समझ का फेर है। जीवन में मात्र दस प्रतिशत वह होता है जिसे हम वास्तव में भोगते हैं, शेष नब्बे […]

मिल बांट कर उपभोग के लिए हैं खाद्यान्न

दुनिया में किसी को भूखे न सोना पड़े, इसकी धरती मां ने समुचित व्यवस्था कर रखी है। तो भी दुनिया के एक अरब  (करीब 13.5% लोगों को दो जून रोटी इसलिए नसीब नहीं होती चूंकि अन्न खरीदने के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं। मिल-बांट कर खाएंगे तो जहां  एक ओर सभी की गुजर-बसर चलेगी […]

खुल कर बोलें, बेधड़क लिखें! मन बीमार नहीं होगा!

समान उम्र-काठी के ‘‘क’’ और ‘ख’ दो शख्स हैं, एक ही महकमे में एक ही पद पर दोनों ने एक साथ नौकरी शुरू की थी। दोनों की पारिवारिक, सामाजिक पृष्ठभूमि कमोबेश एक सी है। ‘‘क’’ है कि हमेशा मुंह फुलाए, मानो मार खाया हुआ है। हर किसी से असंतुष्ट; हर जगह उसे खोट दिखते हैं। […]

झिकझिक कर नहीं गुजरनी चाहिए जीवन की संध्या

बच्चे बहुत छोटे हैं तो बात अलग है। अन्यथा न उन्हीं की दुनिया में रमें रहें, न उनके कार्यों में दखल दें। ढ़लती उम्र में सुख-चैन से जीना है तो संतान से उम्मीदें न लगाएं। याद रहे, अपनी टहल आपने खुद करनी है। धन्य समझें आप जीवित हैं, इन पंक्तियों को पढ़ने योग्य भी। कई […]

Back To Top