सत्संग महफिलों में नहीं, नेक संगत से मिलता है
रात को फोन पर उन्हें कोई जरूरी सूचना देने के बाद मैंने सरसरी तौर पर क्या कह डाला, ‘‘खाना तो हो गया होगा, नौ बज चुके हैं’’ कि उन्होंने दिल में भरी खीजों का पिटारा खोल दिया – ‘‘अब वो दिन फाख्ता हुए जब ऐन आठ बजे दोनों बच्चों और मुझे खाना नसीब हो जाता […]