छोटों को ‘उत्पात’ मचाने दो, वरना खैर नहीं!

समाजशास्त्रियों, नेताओं, सरकारों, प्रबुद्धजनों ने कहा, लिखा और हमने पढ़ा-सुना कि बच्चे देश और समाज का भविष्य हैं। देश के विकास का स्वरूप, इसकी दिशा-दशा क्या होगी, सब बच्चों-युवाओं की सोच पर निर्भर है, चूंकि सोच के अनुरूप कार्य होंगे और फल मिलेगा। उम्रदारों की संख्या सभी देशों में बढ़ रही है, उनकी खैरियत का […]

अभिभावकीय भागीदारी बिन नहीं मुकम्मल होगी सही शिक्षा

व्यापक अर्थ में शिक्षा उससे ऊपर की चीज है जो स्कूल-काॅलेजों में पढ़ाई, सिखाई जाती है। बेशक शैक्षिक संस्थानों के सैद्धांतिक और व्यावहारिक पाठ्यक्रम मार्किट की जरूरतों के अनुसार, रोजगार दिलाने सहायक हो सकते हैं। किसी ने यहां तक कहा, असल पढ़ाई तो काॅलेज की चारदिवारी छोड़ देने, डिग्री हासिल करने के बाद शुरू होती […]

जिंदगी आनंदित रहने के लिए है, पोस्टमार्टम के लिए नहीं

अंडे के शौकीन एक व्यक्ति को सुबह नाश्ते में उसकी पत्नी चाय के साथ दो उबले अंडे, या आॅमलेट परोसती थी। जिस दिन आॅमलेट मिलता उसका शिकवा रहता, उबले अंडे चाहिए थे। उबले अंडे मिलते तो वे मुंह बना लेते, आमलेट क्यों नहीं बना। बेचारी पत्नी रोजाना कसमकस में रहती कि आज क्या करूं? एक […]

शारीरिक कलाकारियों से ऊपर हैं योग के मायने

भारतीय उद्गम के योग का लोहा दुनिया मान गई है। क्या हम अभी भी नहीं चेतेंगे? चीनी दार्शनिक लाओत्जे से पूछा गया, आपके सुखी जीवन का राज क्या है। जवाब मिला, ‘‘जब भूख लगती है तो खा लेता हूं, नींद आती है तो सो जाता हूं।’’ जिज्ञासु पहले हकबक था, फिर तपाक से बोला, ‘‘यह […]

अंधेरा चांद आने से नहीं, सूर्य के ढ़लने से होता है

दिल्ली के जिस सरकारी संगठन में मैंने करीब उन्नीस वर्ष सेवाएं दीं वहां मेरा कार्य ऐसा था कि आगंतुकों और संस्थान के कर्मियों से अनवरत संपर्क रहता। मेरे कमरे में एक अन्य अधिकारी भी बैठते थे। अपनी स्वभावगत आदतवश दूसरों के हित में कोई ठोस राय देते अपने संवादों में मैं कदाचित शासकीय अपेक्षाएं लांघ […]

मां का दूधः बच्चे के लिए कुदरत का नायाब तौहफा

अनेक परीक्षणों के बाद, कुछ दशक पूर्व ही विज्ञान ने स्तनपान की आदिकाल से चली आई प्रथा पर मुहर लगाते हुए ऐलान किया कि बच्चों के पोषण और उनके शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक विकास के लिए मां के दूध का तोड़ नहीं है। इसे विडंबना ही कहेंगे कि माताओं और परिजनों की अज्ञानता या नासमझी […]

ऊपर वाले का न सही, सबसे ऊपर वाले का खयाल रहे

हालिया मोबाइल में प्राप्त एक मैसेज में किताबों में तल्लीन मालूम पड़ते एक बालक को दिखाया गया। उसने करीने से, रस्सी से मोबाइल फोन को लटका रखा है, परदे के पीछे ऐसे कि किसी को भनक न पड़े। जब वह आश्वस्त होता है कि कोई उसके कमरे में यकायक नहीं प्रकट हो जाएगा तो वह […]

संकल्प नेक हों तो रुहानी ताकतें भी हाथ बंटाती हैं

मनोवैज्ञानिक बताते हैं, मंसूबे नेक हों, इच्छा ज्वलंत, दिल साफ, और हौसले बुलंद, तो मनचाहा हासिल हो जाता है। वह कार्य भी संपन्न हो जाता है जो सर्वथा अकल्पित, अप्रत्याशित था, तमाम अटकलों से जुदा। और दुनिया भौंचक्की रह जाती है। गए मंगलवार 6 अगस्त को संसद में जो हुआ वह अजूबा से कम न […]

दोस्ती हो तो ऐसी

अंदरुनी सरोकार, उद्गार, व्यथाएं, हर्षोल्लास व करुणाएं साझा न किए जाएं तो जीवन बोझिल बल्कि असह्य हो सकता है। जिनकी कोई नहीं सुनता, उन्हें अपने कुत्ते या घोड़े से बतिया कर चैन मिलता देखा गया है। पारंपरिक रिश्तों के जरजराने से अब संबंधों का दारोमदार मुख्यतया मित्रों पर है अतः उनका सुविचारित चयन आवश्यक है। […]

साथी नहीं, असल दोस्त चाहिएं जीने के लिए

दोस्त ही हैं जो जिंदगी को जीने लायक बनाए रखते हैं, अन्यथा जीवन सूना हो जाएगा। दोस्ताना भाव पति/पत्नी, भाई, बहन, बच्चों, आदि के बीच भी नहीं होंगे तो वे संबंध ढ़ह जाएंगे। राम (सक्सेना)- बलराम (गुमास्ता) दोनों ने भोपाल के उसी ऑफिस के तीसरे मित्र को रायपुर में उसके भाई के बाबत टेलीग्राम थमाया, […]

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