धन, वस्तु या धन की सार्थकता तभी तक है जब तक वह प्रवाहित होता रहेगा

प्रवाह प्रकृति का आधाभूत नियम है। प्रवाह – ऊंचाई से निचले स्तर की ओर, बहुतायत से अभाव की ओर, सघनता से विरलता की ओर स्वाभाविक है। इस नियम की अनदेखी से व्यक्ति झमेलों में गिरेगा। अनेक उम्रदारों द्वारा सहेज-सहेज कर दशकों तक संचित उस धन को व्यर्थ समझा जाए जो अंत में न स्वयं उनके, […]

ऐरे गैरों के बस की नहीं है दूसरों के लिए निस्स्वार्थ भाव से कार्य करना

अपने खाने, रहने और सुख-सुविधाएं जुटाने का काम तो निम्नकोटि के जीव भी बखूबी कर लेते हैं। सफल, सार्थक उसी मनुष्य का जीवन है, परहित में कार्य करते रहना जिसकी फितरत बन जाए। प्रकृति की भांति दुनिया में, और प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में बहुत कुछ ऐसा घटित होता है जिसे तर्क या सहज बुद्धि […]

मन को समझाएं, शरीर तो इसका आज्ञाकारी सेवक है

इस प्रकार की बातें आप बहुधा सुनते होंगे – “वजन कम करना मेरे बस में नहीं है।“ “कितनी भी भूख हो, मैं फांका कर लूंगा पर खरबूजा नहीं खा सकता।“ “मुझे तोरी की सब्जी से एलर्जी हो जाती है।“ “कॉफी पीने के बाद मुझे नींद नहीं आती।“ “बस की यात्रा में मुझे उल्टी आनी ही […]

श्राद्ध और कृतज्ञता भाव

हिंदुओं द्वारा प्रतिवर्ष मनाए जाते श्राद्ध कल 6 अक्टूबर, बुधवार को पूर्ण हो रहा है। श्राद्धकर्म से जहां पितर तृप्त होते हैं वहीं हम धन्य होते हैं। मान्यता है कि इस दिन वे सभी पितरों को श्राद्ध दे सकते हैं जिन्हें अपने दिवंगत करीबियों की पुण्य तिथि ज्ञात नहीं है। कृतज्ञता दैविक भाव है, यह […]

उम्रदारी के बावजूद बूढ़ा होना, न होना, आपके हाथ है

रिटायर हो जाने, उम्र बढ़ने, जिम्मेदारियां निपट जाने, कोई नियमित कार्य नहीं होने का मतलब नहीं कि शेष दिन झिकझिक कर गुजारने हैं। बस हौसले न छोड़ें, मन व दिल को बुढ़ाने न दें। सोच को तरोताजा करते हुए आज ही नई शुरुआत कर सकते हैं। जीवन किसी का हो, दिन तो गिनती के हैंः  […]

युवाओं को भी नहीं बख्श रहीं दिल की बीमारियां

अफसोस है, जिस देश की ओर समूची दुनिया सुख-चैन के लिए शरण लेती रही है वहां की 20 प्रतिशत जनसंख्या हृदय रोगों की चपेट में है। दिल की बीमारियां खास कर 30-40 आयु वर्ग के युवाओं में तेजी से बढ़ रही हैं। खतरे की घंटी है यह, चूंकि यह वह वर्ग है जिस पर समाज […]

ज्ञान हासिल करने और बांटने से ज्यादा अहम उसे आचरण में ढ़ालना है

परिजनों, साथियों तथा अन्य सहजीवियों से मेलजोल तथा प्रेम बनाए रखने पर व्याख्यान देने वाले जितने धर्मगुरु, कथावाचक, बाबा और फकीर मिलेंगे उन्हें सुनने को बेताब भक्त उनसे हजारों गुना मिल जाएंगे। ये सार्वजनिक मंचों से चेतन, अवचेतन पर गोलीबारी करते हुए ज्ञान बांटने वालों से अलहदा एक वर्ग उनका है जो निजी दायरों में […]

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