प्रगति के लिए पुराने, अवांछित ढ़ाचे को खारिज करना होगा

  मंजिल तक पहुंचने में अड़चनें आएं तो क्या कहीं और चल पड़ेंगे? यह तो घुटने टेक देना हुआ। शायद मौजूदा व्यवस्थाएं असांदर्भिक हो गई हैं। स्पष्ट है, लक्ष्य नहीं – साधन, रास्ते और तौरतरीके बदलने होंगे। सही अर्थों में जीने के लिए एक संत ने अटपटी सी सलाह दी। क्रम से अपने मातापिता, अध्यापकों, […]

बचत बगैर गुजर नहीं, किंतु कितनी? और खर्च करें तो कहां, और कितना?

खर्च और बचत में तालमेल नहीं बैठाए रखेंगे तो घरेलू बजट अस्त-व्यस्त हो जाएगा जो जिंदगी की पटरी को डगमगा सकता है। बाजार जाते वक्त आपके पास कितने रुपए हैं और कहां रखे हैं, आप भूल भी जाएं किंतु प्रायः दुकानदार और पॉकेटमार को इसका अनुमान रहता है। ये लोग शातीर होते हैं, और आपके […]

धन, वस्तु या धन की सार्थकता तभी तक है जब तक वह प्रवाहित होता रहेगा

प्रवाह प्रकृति का आधाभूत नियम है। प्रवाह – ऊंचाई से निचले स्तर की ओर, बहुतायत से अभाव की ओर, सघनता से विरलता की ओर स्वाभाविक है। इस नियम की अनदेखी से व्यक्ति झमेलों में गिरेगा। अनेक उम्रदारों द्वारा सहेज-सहेज कर दशकों तक संचित उस धन को व्यर्थ समझा जाए जो अंत में न स्वयं उनके, […]

ऐरे गैरों के बस की नहीं है दूसरों के लिए निस्स्वार्थ भाव से कार्य करना

अपने खाने, रहने और सुख-सुविधाएं जुटाने का काम तो निम्नकोटि के जीव भी बखूबी कर लेते हैं। सफल, सार्थक उसी मनुष्य का जीवन है, परहित में कार्य करते रहना जिसकी फितरत बन जाए। प्रकृति की भांति दुनिया में, और प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में बहुत कुछ ऐसा घटित होता है जिसे तर्क या सहज बुद्धि […]

मन को समझाएं, शरीर तो इसका आज्ञाकारी सेवक है

इस प्रकार की बातें आप बहुधा सुनते होंगे – “वजन कम करना मेरे बस में नहीं है।“ “कितनी भी भूख हो, मैं फांका कर लूंगा पर खरबूजा नहीं खा सकता।“ “मुझे तोरी की सब्जी से एलर्जी हो जाती है।“ “कॉफी पीने के बाद मुझे नींद नहीं आती।“ “बस की यात्रा में मुझे उल्टी आनी ही […]

श्राद्ध और कृतज्ञता भाव

हिंदुओं द्वारा प्रतिवर्ष मनाए जाते श्राद्ध इस वर्ष (2024 में ) 2 अक्टूबर, मंगलवार को पूर्ण हो रहे हैं । श्राद्धकर्म से जहां पितर तृप्त होते हैं वहीं हम धन्य होते हैं। मान्यता है कि इस दिन वे सभी पितरों को श्राद्ध दे सकते हैं जिन्हें अपने दिवंगत करीबियों की पुण्य तिथि ज्ञात नहीं है। […]

उम्रदारी के बावजूद बूढ़ा होना, न होना, आपके हाथ है

रिटायर हो जाने, उम्र बढ़ने, जिम्मेदारियां निपट जाने, कोई नियमित कार्य नहीं होने का मतलब नहीं कि शेष दिन झिकझिक कर गुजारने हैं। बस हौसले न छोड़ें, मन व दिल को बुढ़ाने न दें। सोच को तरोताजा करते हुए आज ही नई शुरुआत कर सकते हैं। जीवन किसी का हो, दिन तो गिनती के हैंः  […]

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