दोस्ती हो तो ऐसी
अंदरुनी सरोकार, उद्गार, व्यथाएं, हर्षोल्लास व करुणाएं साझा न किए जाएं तो जीवन बोझिल बल्कि असह्य हो सकता है। जिनकी कोई नहीं सुनता, उन्हें अपने कुत्ते या घोड़े से बतिया कर चैन मिलता देखा गया है। पारंपरिक रिश्तों के जरजराने से अब संबंधों का दारोमदार मुख्यतया मित्रों पर है अतः उनका सुविचारित चयन आवश्यक है। […]
साथी नहीं, असल दोस्त चाहिएं जीने के लिए
दोस्त ही हैं जो जिंदगी को जीने लायक बनाए रखते हैं, अन्यथा जीवन सूना हो जाएगा। दोस्ताना भाव पति/पत्नी, भाई, बहन, बच्चों, आदि के बीच भी नहीं होंगे तो वे संबंध ढ़ह जाएंगे। राम (सक्सेना)- बलराम (गुमास्ता) दोनों ने भोपाल के उसी ऑफिस के तीसरे मित्र को रायपुर में उसके भाई के बाबत टेलीग्राम थमाया, […]