Tag: आत्म मंथन

एक पक्ष पूर्वजों के प्रति आभार ज्ञापन का: वार्षिक श्राद्ध

नतमस्तक होना, विनम्र रहना और कृतज्ञता का भाव रखना भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है। पुरखों, मातापिता सहित उन सभी व्यक्तियों और संस्थाओं के प्रति ऋणी रहने का भाव — जिनका हमारे जन्म, हमारी परवरिश, शिक्षा तथा आजीविका प्रदान करने में योगदान रहा — हमारे जीवन को सार्थक और बेहतर बनाता है। इस दृष्टि […]

गुमसुम रह कर दुनिया के सुखों से वंचित न रहें

भूचाल आने पर गांव से भागने वालों में सबसे आगे पोटली सिर पर लादे, ‘‘बचाओ, बचाओ’’ चिल्लाती एक बुढ़िया थी। पता चला, वही बुढ़िया रोज मंदिर में माथा टेकते मिन्नत करती थी, ‘‘हे प्रभु, मुझे इस दुनिया से उठा लो।’’ जिंदगी को दैनंदिन कोसने वाले भी प्राण रक्षा के लिए कोई कसर नहीं छोड़ते, गुल […]

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