Tag: विमर्श

सायास, मनोयोग से किए कार्यों से ही उत्कृष्ट, वांछित परिणाम मिलेंगे

अपने आवास या कार्यस्थल के गिर्द भूमि को उजाड़ छोड़ देने से उसमें खरपतवार और अवांछित झाड़-झंकार स्वतः पैदा हो जाएंगे। मनचाही, बेहतरीन उपज चाहिए तो भूमि की समुचित तैयारी के बाद अच्छे बीज डालने होंगे, समय-समय पर खाद, सिंचाई और कीटनाशक का प्रयोग करना होगा। बीच-बीच में मुख्य फसल का पोषण हड़पने वाले अनावश्यक […]

चुनौती और फिसलनों से भरी होती है कामयाबी की डगर

मातापिता की सलाह को शिरोधार्य करते बालक ने तन-मन से बोर्ड परीक्षा की तैयारी में स्वयं को झोंक दिया, साथियों, परिजनों से मेलजोल और संवाद तक बंद कर दिया। नतीजे फक्र के लायक थे। किंतु वक्त को कुछ और ही मंजूर था। उसे अपने अरमान तब स्वाहा होते दिखे जब न तो मनचाहे कालेज में […]

दूसरों को समझाने से पहले खुद समझना होगा

उनकी आदतन झुंझलाहट सातवें आसमान पर थी। पत्नी अंदर आती दिखी तो बरस पड़े, ‘‘हजार बार समझाया है, पड़ोसन से इतना बतियाना ठीक नहीं, न जाने तुम्हें कब अक्ल आएगी।’’ अब टीवी देखते बेटे और उसके मित्र का नंबर आया, ‘‘फिर टीवी से चिपक कर देख रहे हो, कितनी बार समझाया, पांच फुट का फासला […]

स्वयं को इतना पुख्ता बनाएं कि बाहरी संबल की आवश्यकता न्यूनतम हो

इंजीनियरिंग पढ़ रहे, घर आए भांजे से मैंने पूछा, यह चार सौ ग्राम ब्रैड का पैकेट बीस रुपए का है, एक किलोग्राम कितने का हुआ? इससे पहले कि भांजा पाॅकेट से कुछ निकालता, मैंने टोक दिया, ‘‘नहीं, बगैर कैल्कुलेटर के बताना है!’’ लाड़ले को उलझन में देख मां ने मोर्चा संभाला, बचाव में तपाक से […]

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