पुरखों, पित्रों से जुड़ाव हमारा जीवन संवार देता है

अपनी जड़ों यानी पुरखों, दिवंगत या जीवित मातापिता, घर-परिवार से जुड़ा व्यक्ति उस तानेबाने की अथाह शक्तियों से लाभान्वित होगा जिसका वास्तव में वह अंश है।

निस्संदेह ज्वलंत इच्छा, अथक प्रयास और कर्मठता के बूते किसी भी नस्ल, पंथ या वर्ग का व्यक्ति चयनित क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित करता है। तथापि अभीष्ट को पाने की यात्रा में उस विरासत का योगदान रहता है जिसका वह अंश है। यहां ‘विरासत’ में उन संस्कारों का समावेश है जो वह स्वविवेक से, सायास अर्जित करता है। अर्जित संस्कारों में वे आस्थाएं और जीवनमूल्य भी होते हैं जो वंशगत या पैत्रिक मूल्यों का अंग न हों या उनसे मेल न खाएं। प्रत्येक व्यक्ति एक सुदीर्घ अनुवांशिक श्रृंखला में एक अनन्य अस्मिता है।

मनुष्य हाड़-मांस का पुंज भर नहीं, उसकी दशा-दिशा जानने के लिए उसकी पृष्ठभूमि का बोध आवश्यक है। प्राणिविज्ञान में किसी जीव या पौधे को भलीभांति जानने-समझने के लिए पहले उसकी उत्पत्ति, फिर कालांतर में उसके क्रमिक विकास पर विचार होता है। उसी प्रकार व्यक्ति की पृष्ठभूमि और उसका परवरिश काफी हद तक उसकी प्रगति की सीमाएं परिभाषित और निर्धारित करते हैं।

अपनी विरासत, पुरखों और परिवार से व्यक्ति का जुड़ाव जिस मात्रा में होगा उसी अनुपात में उसमें नैतिक बल, उत्साह और भावनात्मकता होगी। परंपरा से जुड़े रहेंगे तो व्यक्तित्व अधिक परिपूर्ण, गरिमामय और मानवीय होगा। अपनी माटी, देश, समाज, परिवार, संस्कृति और भाषा के प्रति उसकी निष्ठाएं और सदाशयताएं ठोस और वास्तविक होंगी, दिखावटी या औपचारिक नहीं। इनके संरक्षण के लिए वह प्रतिबद्ध रहेगा और अंतिम क्षण तक लड़ेगा। जीवित या दिवंगत मांतापिता सहित पुरखों के लिए उसके हृदय में श्रद्धाभाव रहेगा। अपनी अस्मिता पर उसे सदा गर्व रहेगा।

परंपरा से जुड़ाव कृतज्ञता भाव की अभिव्यक्ति है। जो मातापिता, घर-परिवार, संस्थान आदि व्यक्ति को वर्तमान स्तर तक पहुंचाने में सहायक रहे उनके प्रति नतमस्तक रहना उसे सकारात्मक मुद्रा में रखेगा। कृतज्ञता और परहित के भाव व्यक्ति को अप्रत्याशित ऊंचाइयों तक पहुंचाते हैं। जिस हृदय में कृतज्ञता का वास होगा उसका चित्त आह्लादित, मन संयत और शरीर स्वस्थ रहेगा। यह विश्वास कि वह एक वृहत तानेबाने का अटूट अंग है, कठिन, संकटपूर्ण परिस्थितियों से निबटने में अलौकिक संबल प्रदान करता है।

——————————————————————————————-

दैनिक जागरण के ऊर्जा काॅलम (संपादकीय पृष्ठ) में 14 जून 2021 को प्रकाशित।

————————————————————————————————

3 thoughts on “पुरखों, पित्रों से जुड़ाव हमारा जीवन संवार देता है

  1. हम सभी के अंदुरुनी सरोकारों पर सुन्दर लेख।

  2. धन्य है आपकी लेखनी जो उपयुक्त हाथों में है। आपकी लेखनी से निकला प्रत्येक शब्द कर्तव्य बोध करवाता है।

  3. अद्भुत, सटीक! साथ ही पाठक को विचार प्रदान करती है। भाषा शैली गागर में सागर की अभिव्यकित किए हुए है। अति संतुलित एवं विषय पर केंद्रित लेख सूक्ष्म भाव लिये हुए हृदय को स्पर्श कर रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top