राक्षसी ताकतें सर्वव्यापी है इसके बावजूद रामराज्य की प्रतिष्ठा करनी होगी
धर्म या सत्य की प्रकृति सहजता, सौम्यता, शांति, और ठहराव की है। इसकी तुलना में अधर्म, झूठ और फरेब की बुनियाद चमक-दमक, होहल्ला और मारधाड़ है; इनमें जबरदस्त सम्मोहन होता है। सत्य और धर्म की राह में ऐसा खिंचाव नहीं। इसीलिए झूठे और फरेबी की जयजयकार होती है। अधिकांश जन अपने मूल (दिव्य) स्वरूप को […]
जो, जितना, आपके निमित्त है वह कोई नहीं छीन सकता, इसलिए हड़बड़ी में अपना चैन नहीं खोएं
जल्दी का काम शैतान का। हड़़बड़़ी मचाएंगे तो काम में विलंब होने के आसार बनेंगे, काम उलटपलट भी सकता है। एक ट्रक के पीछे ज्ञान की बात लिखी थी, ’’जिन्हें जल्दी थी, वे चले गए!’’ धैर्य रखें, कुल मिला कर फायदे में रहेंगे, सुखी रहेंगे। याद रहे, जो आपके निमित्त, जितना आपके लिए तय है […]
भला होने और भला दिखने के बीच की खाई
एक व्यक्ति वास्तव में भला है। दूसरा भला नहीं है, लेकिन भला दिखता है। आप दोनों में से किस कोटि में हैं या विकल्प मिलने पर किस कोटि में रहना चुनेंगे।समाज में अधिकांश मानसिक और अन्य समस्याएं इसीलिए हैं चूंकि स्वयं सही होने के बजाए हमारी चेष्टा रहती है कि दुनिया हमें सही समझे, हम […]
मालूम है, आप सदा व्यस्त रहते हैं, लेकिन कहां – सवाल यह है
आप अस्त-व्यस्त — माफ करें — जरूरत से ज्यादा व्यस्त तो नहीं रहते। कार्य की चिंता अवश्य करें। किंतु ऐसे कार्य में व्यस्त रहने का अभ्यास करें जिसका मतलब बने, जो करने के बाद आपको आनंद और संतुष्टि मिलती रहे। बच्चे से बूढ़़े तक, कार्य या व्यवसाय कोई भी हो, सारा दिन बतियाते, बैठेठाले गुजरता […]
अमृत तुल्य जल पर टिका है जीवन का दारोमदार
प्राणदाई पोषण से कहीं परे, जल रहस्यमय, दैविक गुणों से परिपूर्ण अस्मिता है और सभी पंथों में श्रद्धेय। जल के अविवेकपूर्ण उपयोग से सर्वत्र हाहाकार की नौबत आने को है। अतः इसकी प्रत्येक बूंद को सहेज कर रखना होगा। जल है तो जीवन है। यह समस्त प्राणि और वनस्पति जीवन का आधार है। पृथ्वी की […]
वाहवाही बटोरने की तड़पन
डिग्रियां, तगमे, फीतियों, मेडलों, अलंकरणों की चाहत से लोग विक्षुप्त हो रहे हैं। जिनका समूचा ध्यान बाहरी छवि निखारने और वाहवाही बटोरने में रहेगा क्या वह कार्य में चित्त लगा सकता है? उल्टा टोप, उल्टी जैकेट या नई अजीबोगरीब डिजाइन वाली शर्ट का फोटो फेसबुक में डाल कर वाहवाहियों की झड़़ी न लगने से लोग […]
दिशा सही न हो तो ज्ञान, हुनर, धन – सब धरा रह जाएगा, न ही मंजिल मिलेगी
महाज्ञानी हैं, समझदार हैं, सूझबूझ में कमी नहीं फिर भी वह नहीं हासिल कर पाए जिसके अरमान दिल में सदा संजोए गए थे। क्योंकि दिशा सही न थी। दूसरी बात – जितना जल्द दिशा तय कर लेंगे उसी मात्रा में शेष जीवन आनंद और संतुष्टि से जी सकेंगे। सूटबूट में एक व्यक्ति सड़क किनारे पालथी […]
जितना दिखाई पड़़े, उससे परे देखना होगा
समान आयु, जिम्मेदारी, आमदनी, पारिवारिक-आर्थिक परिस्थितियों के दो व्यक्तियों में से एक हंसता-खिलखिलाता, स्वस्थ, कमोबेश संतुष्टिमय जीवन बिता रहा होता है तो दूसरा विपन्नता और चिंताओं में ग्रस्त, जैसे तैसे दिन काटता है। इतना फर्क आ जाता है तो व्यक्ति की सोच के कारण। एकबारगी जिस सांचे में ढ़ल जाएंगे उसमें तब्दील दुष्कर होगी। […]
जिंदगी की दौड़ में आप कितना ऊपर, और कितनी दूर पहुंचेंगे, आपकी संगत तय करेगी
कहावत है, एक प्रजाति के पक्षी झुंड में एक साथ विचरण करते हैं। मनुष्यों में भी यही नियम लागू होता है। अंतर यह है कि मनुष्य अपने स्वभाव और गंतव्य के अनुसार संगी-साथियों का चयन स्वयं करता है। अतः किनसे घनिष्ठता बढ़ाई जाए, यह गंभीर मुद्दा है। उस नन्हीं चील की दुर्दशा पर विचार करें […]
धन, वस्तु या धन की सार्थकता तभी तक है जब तक वह प्रवाहित होता रहेगा
प्रवाह प्रकृति का आधाभूत नियम है। प्रवाह – ऊंचाई से निचले स्तर की ओर, बहुतायत से अभाव की ओर, सघनता से विरलता की ओर स्वाभाविक है। इस नियम की अनदेखी से व्यक्ति झमेलों में गिरेगा। अनेक उम्रदारों द्वारा सहेज-सहेज कर दशकों तक संचित उस धन को व्यर्थ समझा जाए जो अंत में न स्वयं उनके, […]
श्राद्ध और कृतज्ञता भाव
हिंदुओं द्वारा प्रतिवर्ष मनाए जाते श्राद्ध इस वर्ष (2024 में ) 2 अक्टूबर, मंगलवार को पूर्ण हो रहे हैं । श्राद्धकर्म से जहां पितर तृप्त होते हैं वहीं हम धन्य होते हैं। मान्यता है कि इस दिन वे सभी पितरों को श्राद्ध दे सकते हैं जिन्हें अपने दिवंगत करीबियों की पुण्य तिथि ज्ञात नहीं है। […]
ज्ञान हासिल करने और बांटने से ज्यादा अहम उसे आचरण में ढ़ालना है
परिजनों, साथियों तथा अन्य सहजीवियों से मेलजोल तथा प्रेम बनाए रखने पर व्याख्यान देने वाले जितने धर्मगुरु, कथावाचक, बाबा और फकीर मिलेंगे उन्हें सुनने को बेताब भक्त उनसे हजारों गुना मिल जाएंगे। ये सार्वजनिक मंचों से चेतन, अवचेतन पर गोलीबारी करते हुए ज्ञान बांटने वालों से अलहदा एक वर्ग उनका है जो निजी दायरों में […]