ठीक खाएं और ठीक से खाएंः अन्न के एक-एक अंश का लाभ मिलेगा
शादी के मंडप में खानपान काउंटर पर दो बच्चों को साथ लिए ओट में खड़ी एक महिला पर नजर पड़ी। उसके हाथ की प्लेट में ज्यादा नहीं तो दस-बारह ठीक साइज़ के गुलाब जामुन रहे होंगे। वह जबरन एक-एक पीस बच्चों के मुंह में ठूंस रही थी। कुछ खा चुकने के बाद बच्चे आनाकानी कर […]
सीमा प्रहरियों के समादर का अर्थ देश की माटी का सम्मान है
जान है तो जहां है। कुशल रहेंगे तभी कोई कार्य निबटाने और मनचाहा हासिल करने की गुंजाइश रहेगी। स्वयं की हिफाजत को सर्वोपरि मानते हुए पिछली पीढ़ी प्रायः अपनी संतति को चिट्ठी की शुरुआत इस हिदायत से करती थी, ‘‘पहले आत्मरक्षा, बाद में अन्य कार्य’’। बेहतरी के लिए आवश्यक है कि मन और चित्त में […]
जिंदगी के सुख ‘नाम’ के पीछे भागने से नहीं, कर्म से मिलेंगे
नाम के पीछे पगलाने वालों की कमी नहीं, एक ढूंडोगे दस मिलेंगे, दूर ढूंडोगे पास मिलेंगे। नाम के बदले काम पर ध्यान रहने की फितरत बन जाए तो व्यक्ति की दुनिया रंगीन और आनंदमय हो जाएगी। मजे की बात, तब नाम स्वतः ही मिल जाएगा। जब नाम रखने का लमहा आता है, चाहे नवजात बच्चे […]
आत्मसम्मान विकृत हो जाए तो अहंकार में बदल जाता है
कुदरत ने हर किसी को अथाह समझदारी और ताकत दी है। किंतु आपके समझदार होने से दूसरा व्यक्ति बेवकूफ नहीं हो जाता। आत्मसम्मान का भाव हमें हौसले देता है, लेकिन दूसरों को हेय समझेंगे तो आप ही भाड़ में चले जाएंगे। पति-पत्नी, पिता-बेटा, भाई-बहन, पड़ोसियों या मित्रों में जरा सी कहासुनी के बाद दोनों पक्षों […]
झूठमूठ खांसते, चतुर्वेदीजी बनने चले त्रिवेदीजी रह गए द्विवेदीजी
राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट ! मौके का फायदा उठा कर त्रिवेदीजी चतुर्वेदीजी बनने चले थे। किंतु हालात ने यों पटका कि वे द्विवेदी बन कर रह गए। लोगबाग गली-मोहल्ले, सामुदायिक स्थान, पार्क या कार्यस्थल में, संक्षेप में कहें तो यत्र, तत्र सर्वत्र हर खांसते-खंखारते से भयभीत हो कर वे यूं […]
संतान से अनावश्यक मोह कष्टकारी होगा
संतान की परवरिश कर्तव्यभाव से करें, प्रतिफल की आस रहेगी तो जीवन बोझिल हो जाएगा। कार्यस्थल में जिस कुर्सी पर हम बरसों बैठते रहे, घर में जिस बिस्तर पर सोए, जिस थाली में भोजन ग्रहण करते रहे, पार्क की जिस बेंच पर अक्सर बैठे, या जिस वृक्ष या पालतू जानवर पर प्रतिदिन दृष्टि जाती रही, […]
आप हमेशा शिकायती मुद्रा में तो नहीं रहते
आपको हर किसी से शिकायत रहेगी तो थोपड़ा गुमसुम रहने लगेगा और लोग आपसे कतराने लगेंगे। इस प्रक्रिया में आपका चैन तो छिनेगा ही, जरूरी काम भी नहीं सलटेंगे। घर में परिवार के मुखिया से, या कार्यस्थल में अधिकारी या अधीनस्थ कर्मियों से सदा शिकायत करने वाले नहीं समझते कि कोई घर, या किसी संगठन […]
लाकडाउन रहे या न रहे, व्यस्त रहेंगे तो फालतू के विचार नहीं आएंगे
लाकडाउन के मौजूदा दौर में बच्चे बेसब्र हैं, स्कूल कब खुलेंगे? मम्मी से मैडम ही भली। अनेक देशों में महिलाएं कौंसलरों के पास भारी संख्या में यह शिकायत ले कर आ रही हैं कि उनके पति उसकी मर्जी के खिलाफ ज्यादती और प्रताड़ना करते हैं। यदि जिंदगी में कोई एजेंडा होगा तो खालीपन की […]
पत्नियां पहले ही कम न थीं, लाकडाउन में तो पौ बारह
भारतीय पत्नियां खुशी-खुशी, स्वेच्छा से या मन मार कर, कैसे भी चौका-चूल्हे के काम निबटाती रही हैं। यही कम न था उनके दादागिरी बनाए रखने और पुरुषों को हांकते रहने के लिए। लाकडाउन के मौजूदा दौर ने महिला शक्ति को और धार दी है। करेला नीम चढ़ा। अब घर और घरवालों के सारे कंट्रोल […]
लाकडाउन से बदल रहीं फिजाएं, अदाएं … देखते रहें
किसने सोचा था, ये दिन भी देखने होंगे? दिल्ली जमुनापार अपने आवासीय परिसर के सामने एक नामी स्कूल है, बीच में डीडीए का पार्क है, जिसकी दूसरी सरहद वाली सड़क दाईं ओर दिखते मेट्रो स्टेशन तक जाती है। लाकडाउन से पहले तक यह सड़क खासी गुलजार रहा करती थी। सुबह स्कूल खुलने पर और स्कूल […]
भारत में हर वर्ष होती है दो लाख किडनी, 50 हजार हृदय और इतने ही लीवर की दरकार!
देना नेकी का काम है, सभी समुदायों-पंथों में दाता का गुणगान किया जाता रहा है। इससे बड़ा दान क्या होगा जब आपके दिए से किसी को दिखने लगे या उसका मरणासन्न हृदय धड़कने लगे या निष्क्रिय किडनी कार्य करने लगे। इन पांच अंगों का प्रत्यारोपण प्राय: किया जाता है-किडनी, लीवर, हृदय, फेफड़े और अग्न्याशय (पैंक्रियाज)। […]
जीवन की लौ मुरझाए नहीं, इसीलिए दिए और कैंडिल जलते रहने चाहिएं
किसी भी पंथ का छोटा-बड़ा अनुष्ठान दीप प्रज्वलन बगैर संपन्न नहीं होता। अग्नितत्व की आराधना स्वरूप दीप प्रज्वलन से परालौकिक अनिष्टों-बाधाओं के निराकरण तथा नए कार्य के मंगलमय होने का विश्वास मनुष्य की आदिम प्रवृत्ति है। आदि समुदायों में रात्रिवेला में अग्नि के दायरे में सामूहिक नृत्य-गायन के माध्यम से हृदय के उद्गार साझा करने […]