उन बेचारों को अवसर ही नहीं मिले …
जो बेचारे रहे, वे बेचारे ही रहेंगे। दुखी, अभिशप्त से। प्रभु और उनकी आयोजना पर उन्हें विश्वास नहीं था। इसके विपरीत, प्रभु की न्यायप्रियता के प्रति आश्वस्त व्यक्ति के हृदय में आशा, उल्लास और हर्ष का दीप बुझ ही नहीं सकता। समर्थ व्यक्ति भाग्य को नहीं कोसेगा: कामयाबी, प्रसिद्धि और आनंद के उत्कर्ष तक वे पहुंचे […]