नाम के पीछे दौड़ते रहेंगे तो न काम ढ़ंग से होंगे, न ही नाम होगा
जो नाम या वाहवाही के पीछे दौड़ते रहे उनके कार्य सही से नहीं निबटे, न ही उनका नाम हुआ। बल्कि जीवन की संध्या में उन्हें हताशा ही हाथ लगी। वाहवाहियां क्या हैं –कार्य पर ध्यान रखने का स्वाभाविक प्रतिफल।