चले बिना गुजर नहीं, किंतु उससे जरूरी है, पता हो किधर जाना है

क्या आपने नियत क्षमता से बहुत कम चली हुई, नई सी दिखती मिक्सी, सिलाई मशीन, मोटर साइकिल या अन्य उपकरण को कबाड़़ में बिकते देखा है? इन उपकरणों की बेहाली इसलिए हुई चूंकि इन्हें चलाया नहीं गया! हमारे शरीर की भी यही नियति है। मन और शरीर को सदा सक्रिय रखना होगा।   बैठे ठाले […]

नए को अपनाने का अर्थ है जीवन से प्रेम, और इसमें आस्था

ससुर को बहू ने कहा, ‘‘पिताजी, आपके कुर्ते का सबसे ऊपर वाला बटन नहीं है, शायद टूट कर कहीं गिर गया। दीजिए, दूसरा लगाए देते हैं।“ जवाब मानो पहले से तैयार हो, ‘‘नहीं – रहने दो। कौन सा मुझे ड्यूटी पर या शादी ब्याह में जाना है। वैसे भी उम्र ढ़़ल गई समझो।“ बहू-बेटे दोनों […]

उनसे न उलझें जो आपकी चुप्पी तो क्या, बोल ही नहीं समझते; बस अपने कार्य में चित्त लगाए रखें

जिन व्यक्तियों से रोजाना का उठना-बैठना है उनसे मिलने के लिए भी सजना-धजना जरूरी समझते हैं। वह क्या कहेगा, हमारे बारे में क्या सोचता है इसे खामख्वाह तवोज्जु देते हैं और अपनी चौकड़़ी भूल जाते हैं। हम भले हों, न हों, चलेगा किंतु दुनिया भला समझे, अहम यह हो गया है। हर किसी को खुश […]

असंतुष्ट रहने वाला अपना सुख चैन खो देता है

कोई भी निजी मकान, कार्यालय या पद आपकी आकांक्षाओं के अनुरूप निर्मित नहीं किया गया है। जिस संगठन ने आपको बरसों-बरसों आजीविका दी, मान सम्मान दिया, उसकी कद्र करने के बदले उसमें नुक्स तलाशना या कोसते रहना तो अहसानफरमोशी हुई। उस संगत से बचें जहां निरंतर अपने कार्यस्थल और वहां के कार्मिकों पर अनुचित और […]

मशाल, दिए और कैंडिल जलते रहें ताकि जीवन की लौ मुरझाए नहीं

सभी पंथों, समाजों में दीप प्रज्वलन की सुदीर्घ परंपरा रही है। दिए का प्रकाश जहां तमाम अंधेरे को खत्म करता है वहीं इसका ध्यान हमें उस परम शक्ति से जोड़ता है जिसके हम अभिन्न अंग हैं। आज प्रकाश पर्व है। प्रकाश ज्ञान, उल्लास, प्रगति और हर्ष का प्रतीक है। दीप प्रज्वलन की सुदीर्घ परिपाटी दीप […]

राक्षसी ताकतें सर्वव्यापी है इसके बावजूद रामराज्य की प्रतिष्ठा करनी होगी

धर्म या सत्य की प्रकृति सहजता, सौम्यता, शांति, और ठहराव की है। इसकी तुलना में अधर्म, झूठ और फरेब की बुनियाद चमक-दमक, होहल्ला और मारधाड़ है; इनमें जबरदस्त सम्मोहन होता है। सत्य और धर्म की राह में ऐसा खिंचाव नहीं। इसीलिए झूठे और फरेबी की जयजयकार होती है। अधिकांश जन अपने मूल (दिव्य) स्वरूप को […]

जो, जितना, आपके निमित्त है वह कोई नहीं छीन सकता, इसलिए हड़बड़ी में अपना चैन नहीं खोएं

जल्दी का काम शैतान का। हड़़बड़़ी मचाएंगे तो काम में विलंब होने के आसार बनेंगे, काम उलटपलट भी सकता है। एक ट्रक के पीछे ज्ञान की बात लिखी थी, ’’जिन्हें जल्दी थी, वे चले गए!’’ धैर्य रखें, कुल मिला कर फायदे में रहेंगे, सुखी रहेंगे। याद रहे, जो आपके निमित्त, जितना आपके लिए तय है […]

सुखी रहने के लिए अपेक्षाएं घटानी पड़़ेंगी

  अपने पति या पत्नी, बेटे, बेटी, संबंधियों, सहकर्मियों, पड़ोसियों, मित्रों और परिजनों से आप कितना संतुष्ट या प्रसन्न रहते हैं, यह उन उम्मीदों, अपेक्षाओं पर निर्भर है जो आपने दूसरों से बांध रखी हैं। जितनी ज्यादा अपेक्षाएं उतना ज्यादा दुख। इस प्रकार के दुखड़े आपने भी खूब सुने होंगेः (1) यह वही संतान है […]

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