Live and let live; not the other way round

An unhealthy lifestyle and value system of the digital era has triggered phenomenal growth in mental and physical ailments in number and percentage both. Conditions are similar in most regions of the world. The future shall remain bleak unless there is U-turn in ways people think, feel, aspire, act, behave, communicate and relate to each […]

Learning, how the unwilling can be taught

Without learning spirit and education, life would come to standstill. Ask the millionaire businessman without education, in confidence. However, today there is a lot at home, in school or college, and on the way, in the society to distract from studies. Atop is the siren call of the digital world with bombardment of irresistible messages […]

छांव चाहिए तो धूप भी सहनी पड़ेगी

जिंदगी वरदान है या अभिशाप? यह तो नहीं हो सकता कि फूल हैं तो कांटें नहीं हों। एक ही परिस्थिति एक जन के लिए बला बन जाती है तो दूसरा सहजता से बेड़़ा पार कर लेता है। टंटा सोच का है। सुख का अर्थ प्रतिकूल परिस्थियों की अनुपस्थिति नहीं है। जीवन धूप-छांव का खेल है; […]

भला होने और भला दिखने के बीच की खाई

एक व्यक्ति वास्तव में भला है। दूसरा भला नहीं है, लेकिन भला दिखता है। आप दोनों में से किस कोटि में हैं या विकल्प मिलने पर किस कोटि में रहना चुनेंगे।समाज में अधिकांश मानसिक और अन्य समस्याएं इसीलिए हैं चूंकि स्वयं सही होने के बजाए हमारी चेष्टा रहती है कि दुनिया हमें सही समझे, हम […]

शांति रखेंगे तो सभी कार्य भलीभांति संपन्न हो जाएंगे

हर कोई हड़बड़ी में है। चैन किसी को नहीं! हो भी कैसे, मन स्थिर नहीं रहता। मन शांत, संयत नहीं रहेगा तो काम भी आधे-अधूरे होंगे, न ही उसमें लुत्फ आएगा। अच्छी बात यह है कि मन को शांत रखने की सामर्थ्य हर व्यक्ति में है। कोई भी कार्य सुचारु रूप से संपन्न होने की शर्त है […]

आत्मीय जन के चले जाने का प्रसंग

विनम्र श्रद्धांजलि: श्रीमान् महेश चंद्र कोटनाला कल आषाढ़ चतुर्दशी (27 जून 2022) सोमवार को मेरे श्वसुर श्री महेश चंद्र कोटनाला अपने कोटद्वार निवास में पार्थिव शरीर, और स्वजनों, परिजनों की संगत छोड़ कर चल पड़े! जीवन वृत्त वर्ष 1927 में उत्तराखंड में लैंसडौन के निकट मठाली गांव में जन्मे महेश चंद्र कोटनाला दो भाइयों व […]

कोई भी परिवेश, या परिस्थिति बेहतरीन नहीं होेती, उसे अनुकूल बनाना होता है

वह मकान किसी को नहीं फबता, फलां फलां दिन अमुक कार्य के लिए शुभ नहीं होते – ऐसी धारणाएं बनाने वाले न स्वयं खुशनुमां रहते हैं , दूसरों को और दुखी करते हैं। इसके बदले, यह गांठ बांध ली जाए, अपने चित्त और मन को दुरस्त कैसे रखना है तो जीवन आनंद बन जाएगा। वास्तु […]

गलती हुई है तो मान लेने में ही बड़प्पन है

कार्य करेंगे तो गलतियां भी होंगी। गलतियां मान लेंगे तभी सुधार होगा, अन्यथा नहीं।

तंबाखूः मुश्किलें तो बहुत हैं पर नकेल कसनी ही होगी

तंबाखू के प्रति लोगों और सरकार दोनों के दोगले रवैये से इसके प्रसार ओर सेवन पर नकेल कसना दुष्कर है। World No Tobacco Day 2023 बहुत से भारतीय घरों में मेहमान के स्वागत में उसके आते ही, और चाय नाश्ता या भोजन के उपरांत तंबाखू पेश करने की परिपाटी रही है। बयालीस साल पहले के […]

कार्य का दायरा सीमित होगा तो ऊर्जा में बिखराव नहीं आएगा, परिणाम भी उत्कृष्ट मिलेंगे

मन की सामर्थ्य अथाह है, औसत मानसिक स्तर का व्यक्ति भी गुल खिला सकता है। किंतु सांसारिक चिंताओं में स्वयं को उलझा कर व्यक्ति मूल्यवान ऊर्जा छितरा देता है। इसे सहेज कर किसी दिशा की ओर प्रशस्त रहे तो अपना और जग, दोनों का कल्याण कर सकता है। स्कूलों में भौतिकी प्रयोगशाला में केंद्रगामी यानी […]

भीषण गर्मी से आप बेचैन तो नहीं?

एजेंडा होगा तो मौसम की दुश्वारियां कम असर करेंगी। बेशक दिल्ली तथा उत्तरी भारत में गर्मी बेतहाशा है, उपरी तापमान 49 को छू रहा है, हवाएं मानों सुलग रही हैं। लोगों के शरीर, उससे ज्यादा उनके दिल छटपटा रहे हैं। यदि आप सोचते हैं जरूरी कार्य टाल देने और घर में दुबके रहने से आपको […]

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