उनसे न उलझें जो आपकी चुप्पी तो क्या, बोल ही नहीं समझते; बस अपने कार्य में चित्त लगाए रखें
जिन व्यक्तियों से रोजाना का उठना-बैठना है उनसे मिलने के लिए भी सजना-धजना जरूरी समझते हैं। वह क्या कहेगा, हमारे बारे में क्या सोचता है इसे खामख्वाह तवोज्जु देते हैं और अपनी चौकड़़ी भूल जाते हैं। हम भले हों, न हों, चलेगा किंतु दुनिया भला समझे, अहम यह हो गया है। हर किसी को खुश […]