समस्याओं से जूझने पर नई राह निकल ही आती है

जिंदगी में धूप-छांव के सिद्धांत को मानने वाले फूलों के साथ कांटों की मौजूदगी की शिकायत नहीं करते। यह संभव नहीं कि बिना अड़चन और चुनौतियों के दैनिक कार्य या विशेष कार्य संपन्न होते चले जाएं। जो इन अप्रिय, अप्रत्याशित घटनाओं से जूझने के लिए स्वयं को तैयार नहीं रखेंगे उनके लिए जीवन अभिशाप बन जाएगा। वे पग-पग पर चिंतित और दुखी रहेंगे और संघर्षों के उपरांत मिलने वाले आनंद से वे वंचित रह जाएंगे। मुश्किल परिस्थितियों में संयत, धीर व्यक्ति भी विचलित हो सकता है। सन्मार्ग पर चलने वाले की राह में कम बाधाएं नहीं आतीं।

हम जीवित हैं तो कठिनाइयां, चुनौतियां आएंगी ही। किंतु स्मरण रहे, कठिनाइयों और बाधाओं का प्रयोजन हमें तोड़ना-गिराना नहीं बल्कि ये हमें सुदृढ़ करने के माध्यम हैं। बाधाओं का सकारात्मक पक्ष यह है कि कठिनाइयों से निबटने में उन कौशलों और जानकारियों का प्रयोग आवश्यक होता है जो सामान्य अवस्था में सुषुप्त, निष्क्रिय पड़ी रहती हैं और दुष्कर परिस्थितियों से जूझने पर ही सक्रिय स्थिति में आती हैं। सुधी जन को यह पता होता है। अमेरिकी रंगकर्मी और पत्रकार विल रोजर्स ने कहा, ‘कठिनाई से उबरने का मार्ग इसी के बीच मिल जाता है।’ समस्याओं से नहीं जूझेंगे तो ये विशिष्ट कौशल स्थायी रूप से क्षीण हो जाएंगे तथा व्यक्ति समग्र तौर पर जीने में अक्षम हो जाएगा।

दुष्कर प्रतीत होती एक ही परिस्थिति दो व्यक्तियों को अलग-अलग तरीके से प्रभावित करती है। पहले को नहीं सूझता, वह क्या करे और स्वयं को एकाकी, असहाय मान कर घुटने टेक देता है, प्रभु को कोसता है। समाधान के लिए वह कदाचित दूसरों के समक्ष अपना दुखड़ा रोकर समाधान की अपेक्षा रखता है। दूसरा व्यक्ति अधीर नहीं होता, वह समाधान के लिए अनवरत, अथक प्रयास करता है और विजयी होता है। वह विकट परिस्थिति के लिए प्रभु को दोषी नहीं करार देता। वह जानता है कि प्रत्येक समस्या आरंभ में बड़ी लगती है और प्रभु उसी योद्धा को अग्निपरीक्षा से गुजारते हैं जिन्हें वह निखारने, संवारने और बड़ी भूमिका निभाने का सुपात्र समझते हैं।

नामचीन अभिनेत्री बैटि डेविस का कहना है, ‘चुनौतियां स्वीकार करना सफल जीवन की कुंजी है। जो ऐसा नहीं करते, उन्हें मृतप्राय समझा जाए।’ कठिन क्षणों में प्रभु को कोसना अज्ञानता है। उनका सूक्ष्मांश आपके भीतर है, उन्हें स्वयं से पृथक अस्मिता न मानें। यह भाव रहेगा तो विकट परिस्थितियों में आपको संबल और साहस मिलता रहेगा और आप किसी भी संकट से उबर जाएंगे। न भूलें कि कठिनाई का क्षण भले ही असह्य प्रतीत हो, संभावनाओं की राह इन्हीं गलियारों से गुजरती है।

जब आप कठिनाई के कगार पर हों तो प्रभु पर विश्वास रखें। निश्चय ही वह गिरने पर आपको संभाल लेंगे या आपको उड़ना सिखा देंगे। समस्या से आंख मूंदने की आदत बन जाएगी तो समस्या जस की तस रहेगी। आज कठिनाइयों से कतरा कर घुटने टेक देंगे तो अगली बार अधिक विकराल रूप में उनसे निबटना दुस्साध्य होगा। प्रभु पर विश्वास रखते हुए प्रतिकूल परिस्थितियों का डट कर सामना करें, आपका वह बेहतरीन संस्करण सामने आएगा जिसका अब तक आपको अनुमान न था।

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नवभारत टाइम्स, 31 जनवरी 2020 के ‘स्पीकिंग ट्री’ स्तंभ में, ‘समस्याओं से जूझने पर नई राह निकल ही आती है’ शीर्षक से प्रकाशित।

पीडीएफ फाइल लिंकः http://epaper.navbharattimes.com/details/90444-58318-1.html
वर्ड फाइल लिंकः http://epaper.navbharattimes.com/details/90444-58318-2.html; OR https://navbharattimes.indiatimes.com/astro/spirituality/religious-discourse/never-be-disappointed-in-critical-situation-73250/
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