जो बेचारे रहे, वे बेचारे ही रहेंगे। दुखी, अभिशप्त से। प्रभु और उनकी आयोजना पर उन्हें विश्वास नहीं था। इसके विपरीत, प्रभु की न्यायप्रियता के प्रति आश्वस्त व्यक्ति के हृदय में आशा, उल्लास और हर्ष का दीप बुझ ही नहीं सकता।
समर्थ व्यक्ति भाग्य को नहीं कोसेगा: कामयाबी, प्रसिद्धि और आनंद के उत्कर्ष तक वे पहुंचे जो विपरीत परिस्थितियों का दुखड़ा नहीं रोते रहे। उन्हें प्रभु की न्यायप्रियता और उसके निर्णयों के प्रति संदेह न रहा। उन्होंने कठिन प्रतीत होते समय में भाग्य को नहीं कोसा बल्कि निरंतर सन्मार्ग की दिशा में कर्मरत रहे। प्रतिकूल लगती घटना से क्षुब्ध हो कर मंदबुद्धि जन प्रभु की वृहत् योजना, बल्कि प्रभु के अस्तित्व पर संदेह करने लगते हैं। कुछ तो अपना इष्ट तक बदल डालते हैं। उस बेचारों को नहीं सूझता कि जीवन अभी शेष है तथा सुमार्ग पर प्रशस्त रहने से एक-दर-एक अवसरों का सिलसिला चलता रहेगा।
लाचारगी और बेचारगी रास आ जाएगी तो जीवन के रसों का आस्वादन कभी नहीं मिलेगा। ताउम्र जीवंतता खत्म हो जाएगी और कभी पनप ही नहीं सकेंगे।
प्रभु और मनुष्य का तानाबानाः प्रभु को उन पर आस्था रखने वाले भक्त से अपार स्नेह होता है। अपने भक्त को विकट स्थिति में देख कर वे तुरंत प्रकट होते हैं और भक्त को गिरने नहीं देते। उसकी उन्नति का एक द्वार बंद होता है तो प्रभु उसके लिए दूसरा, बेहतर द्वार खोल देते हैं।
चित्त यदि अतीत की चिंताओं या भविष्य की कल्पनाओं में उलझे रहने का अभ्यस्त हो जाएगा तो उस जमीन के तले भी अवसर नहीं दिखेंगे जहां आप खड़े हैं। अवसर उसी को दिखेंगे जिसका समग्र ध्यान आज संपन्न किए जाने वाले कार्य पर केंद्रित होता है; जिसमें कार्य पूर्ण करने की ललक इतनी प्रबल हो कि इर्दगिर्द के लुभाते, विचलनकारी आकर्षणों की सुध ही न रहे। आज पग-पग पर अवसरों की जितनी प्रचुरता है वैसा अतीत में कभी नहीं थी। अभाव है तो उन कर्मठ, लगनशील जुझारुओं का जो निष्ठा से अविरल अपने स्पष्ट लक्ष्य की दिशा में अग्रसर हैं।
हर सुबह नई संभावनाएं साथ लाती है: सूर्य की अभिनव किरणों के साथ प्रत्येक सुबह बेहतर, परिमार्जित रूप में निखरने के अवसर ले कर आती है। मनुष्य रूप में जीवन स्वयं में महान अवसर है। इहलोक और परलोक सुधारने के लिए प्रभु ने मनुष्य को अपार क्षमता प्रदत्त की है। उसे केवल संकल्प, इच्छाशक्ति, सत्कार्यों और प्रयासों को बाधाएं आने पर भी क्षीण नहीं होने देना है। निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप, सुविचार और सूझबूझ से अनेकानेक अवसरों का दोहन करना होगा। किसी आवश्यक कार्य को निभाने में कोताही नहीं बरतें। अपने भीतर के मौजूद देवत्व को पहचानें और उसकी गरिमा बनाए रखें। साथ ही, किसी वस्तु, सुविधा या साधन के उपयोग के लिए विशेष अवसर की प्रतीक्षा न करें चूंकि प्रत्येक दिन विशिष्ट होता है। फिर आपको बेहतरी के अवसर ही अवसर दिखने लगेंगे।
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इस आलेख का संक्षिप्त प्रारूप दैनिक जागरण के ऊर्जा कॉलम (संपादकीय पेज) में ‘अवसर’ शीर्षक से 8 दिसंबर 2023, शुक्रवार को प्रकाशित हुआ।
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