तंबाखूः मुश्किलें तो बहुत हैं पर नकेल कसनी ही होगी

World No Tobacco Day 2023

तंबाखू के प्रति लोगों और सरकार दोनों के दोगले रवैये से इसके प्रसार ओर सेवन पर नकेल कसना दुष्कर है।

World No Tobacco Day 2023

बहुत से भारतीय घरों में मेहमान के स्वागत में उसके आते ही, और चाय नाश्ता या भोजन के उपरांत तंबाखू पेश करने की परिपाटी रही है। बयालीस साल पहले के भोपाल में (जहां नौकरी में मैंने खासा अरसा गुजारा), हर घर में आगंतुक की खातिरदारी एक डिज़ाइनदार तश्तरी से की जाती। इसमें सौंफ, इलायची, लौंग हो न हो, तंबाखू की सूखी पत्तियां, गीला चूना, साबुत सुपारी और उसे इच्छानुसार काटने के लिए संरौता होना लाजिमी था। देहाती इलाकों में गांव के तमाम पचड़े और विवाद सामूहिक हुक्के की मौजूदगी में सलटते रहे हैं। अमेरिका के आदि समुदायों के अनुष्ठानों में आज भी चार पाक वनस्पतियों में तंबाखू की भेंट अर्पित की जाती है (अन्य तीन हैं: सीडार, सेज और मीठी घास) और इसे आत्माओं से संवाद का साधन माना जाता है। कुछ भारतीय समाजों में भी जैसे उत्तराखंड में, प्रेत आत्माओं को तंबाखू भेंट करने का चलन रहा है।

किंतु आज तंबाखू का सिगरेट, बीड़ी, गुटखा, चिलम आदि विविध रूपों में सेवन इस कदर बढ़ा है कि विश्व में हर साल 54 लाख लोग तंबाखूजन्य बीमारियों के समक्ष घुटने टेक देते हैं। इन बीमारियों में प्रमुख हैं कैंसर, हृदय, फेफड़े के रोग आदि। इसके अतिरिक्त 6 लाख व्यक्ति जो स्वयं तंबाखू का सेवन नहीं करते किंतु तंबाखूसेवियों के सानिध्य में सिगरेट आदि के धुएं से अनेक बीमारियों (सेकेंडरी एक्सपोज़र) से ग्रस्त हो जाते हैं, इनमें से एक चौथाई सालभर से छोटे बच्चे होते हैं। हाइपरटेंशन के बाद तंबाखू विश्व में सर्वाधिक मौतों का कारण है, और हर दसवें वयस्क की मृत्यु के लिए जिम्मेदार। इन सभी मौतों में 80 प्रतिशत निम्न या मध्य आय के देशों में हो रही हैं। तंबाखू के धुएं में करीब 4,000 रसायन होते हैं जिनमें से 200 हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं, इनमें 25 ऐसे हैं जो निर्विवाद रूप से कैंसरजन्य हैं। तंबाखू के शौकीन याद रखें, 4-5 सिगरेटों में मौजूद निकोटीन को यदि शरीर एकबारगी में ग्रहण कर ले तो उसकी मृत्यु हो जाएगी, धूम्रपान में इसका सहस्रांश ही अंदर जाता है।

स्वास्थ्य, समाज और पर्यावरण पर तम्बाखू से जुड़े खतरों के प्रति सचेत करने और इसके सेवन पर अंकुश लगाने संबधी नीतियों को बढ़ावा देने तथा इसके प्रयोग को हतोत्साहित करने की दृष्टि से विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और इसके सहयोगी संगठनों द्वारा 1987 से प्रतिवर्ष 31 मई को विश्व तंबाखू निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन 24 घंटे के लिए तंबाखू का किसी भी रूप में सेवन न करने का आह्वान किया जाता है। साथ ही, तंबाखू के व्यापक प्रयोग और इसके घातक परिणामों के बाबत जनता को आगाह किया जाता है।

World No Tobacco Day 2023

इस परिप्रेक्ष्य में, तंबाखू नियंत्रण के लिए डब्ल्यूएचओ फ्रेमवर्क से जुड़े 174 राष्ट्रों को तंबाखू व सह-उत्पादों के विज्ञापन, प्रोत्साहन और प्रायोजन पर प्रतिबंध की हिदायत जरूरी समझी गई है। अभी तक तंबाखू प्रतिबंध मुहिम खास कामयाब नहीं रही है चूंकि विश्व की मात्र 6 प्रतिशत जनसंख्या ही तंबाखू के एक्सपोज़र से पूर्णतया सुरक्षित है। प्रभावशाली तंबाखू कंपनियों के हथकंडों के समक्ष तंबाखू पर रोक संबंधी कार्यवाहियां नाकाम सी साबित हो रही हैं। ऐसे में एक सशक्त जन आदोलन से ही उम्मीद की जा सकती है।

तंबाखू नियंत्रण मुहिम से तंबाखू जगत से जुड़े तमाम समूहों, कारोबारियों में हड़कंप सा मचा है और ज्यौं-ज्यौं डब्ल्यूएचओ फ्रेमवर्क से जुड़े सदस्य-देशों की संख्या बढ़ रही है, उन्होंने आक्रामक रुख अख्तियार कर तंबाखू नियंत्रण इलाकों के न्यायालयों में स्थानीय सरकारों के खिलाफ, प्रतिबंधों को निरस्त करने के लिए याचिकाएं दायर की गई हैं। विडंबना यह कि कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व के बैनर तले तंबाखू घराने विभिन्न लोक सांस्कृतिक-सामाजिक कार्यक्रमों के मार्फत अपनी ‘‘स्वच्छ’’ छवि उभारने में कसर नहीं छोड़ता।

दूसरी ओर फिल्मी, साहित्यिक, दार्शनिक जगत का एक वर्ग तंबाखू-सिगरेट के गुणगान करते नहीं अघाता। ‘‘मैं हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया’’, ‘‘खा के पान बनारस वाला’’ जैसी लोकप्रिय धुनें उचित-अनुचित के बीच फर्क को धूमिल कर देती हैं। मोलियर का कहना था, ‘‘अरस्तू व अन्य दार्शनिक कुछ भी कहते रहें, तंबाखू का आनंद अतुल्य है; यह दर्शाता है आप कितने खानदानी हैं, तंबाखू के बिना जीवन सूना है।’’

पूर्ण तंबाखू नियंत्रण की स्थापना में शासन के समक्ष एक से बढ़ कर एक मुश्किलें हैं। नियंत्रण उपायों पर आने वाला खर्चा इसकी बिक्री से प्राप्त राजस्व का 154 गुना आंका गया है; तंबाखू खेती में अधिकतर मजदूरी पारिवारिक आय के लिए बच्चे करते हैं वे बेरोजगार हो जाएंगे; तंबाखू व्यवसाय व वितरण के नियामन में अन्य देशों से संवाद जरूरी होता है; इस कारोबार में गैरकानूनी तत्व खासे हैं; सरकारी तंत्र पर तंबाखू घराने हावी हो जाते हैं, आदि। अमेरिकी अभिनेता जैकी मैसन यहां तक कह गए, ‘‘अमेरिकी सांसदों के लिए आपके स्वास्थ्य के बजाए तंबाखू उद्योग को समर्थन देना ज्यादा फायदेमंद रहता है।“

World No Tobacco Day 2023

 

संतोष है कि अधिकांश तंबाखू सेवी इसकी हानियों और 70 प्रतिशत सिगरेट प्रेमी इसे छोड़ना चाहते हैं किंतु वे अज्ञानतावश स्वयं को असमर्थ समझते हैं। इस कार्य के लिए दर असल पक्का इरादा चाहिए। शांतिकुंज हरिद्वार के संस्थापक आचार्य श्रीराम शर्मा का कहना है, ‘‘दुनिया में सबसे कमजोर व लाचार वह है जिसका स्वयं पर नियंत्रण नहीं है।’’ तंबाखू को तिलांजलि दे कर आप अपने स्वास्थ्यलाभ, परिवार के सुख के अलावा वातावरण की बेहतरी में योगदान कर सकते हैं। तंबाखू छोड़ना एक कठिन परीक्षा उत्तीर्ण करने से कम नहीं, और सफल होने पर जिंदगी में वह बहार नसीब होगी जिसकी अभी कल्पना नहीं की जा सकती। निर्णय आपके हाथ है।

… … … … … … … … … … … … … … … …

World No Tobacco Day 2023

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top