जितना दिखाई पड़़े, उससे परे देखना होगा
समान आयु, जिम्मेदारी, आमदनी, पारिवारिक-आर्थिक परिस्थितियों के दो व्यक्तियों में से एक हंसता-खिलखिलाता, स्वस्थ, कमोबेश संतुष्टिमय जीवन बिता रहा होता है तो दूसरा विपन्नता और चिंताओं में ग्रस्त, जैसे तैसे दिन काटता है। इतना फर्क आ जाता है तो व्यक्ति की सोच के कारण। एकबारगी जिस सांचे में ढ़ल जाएंगे उसमें तब्दील दुष्कर होगी। […]