नया चाहे दूसरे का हो या अपना, आकर्षित करता है। आपके पास क्या है, इसकी सूची बनाएं। आपकी आज की स्थिति के लिए अनेक लोग तरस रहे हैं।
पड़ोस के शर्माजी ने नई कार क्या खरीदी कि वर्मा परिवार की नींद उड़ गई, उन्हें सपरिवार अपनी आठ वर्ष पुरानी कार खटारा लगने लगी। पत्नी आए दिन उलाहना देती, ‘‘छह महीनों से रट मैंने लगा रखी थी, बेटी के रिश्ते की बातें चल रही हैं, गाड़ी लेनी हमें थी, बाजी वे मार ले गए! वे ऐसे धन्ना सेठ भी नहीं, आप जितनी ही आय है उनकी।’’
वर्मा परिवार को अपनी पुरानी गाड़ी से उतनी पीड़ा नहीं थी जितना शर्माजी की नई गाड़ी से।
नए का आकर्षणः नई पोषाक, नए बर्तन, मिक्सी, फर्नीचर आदि में ऐसा क्या होता है कि मौजूदा ठीक-ठाक चलती आइटमों को दरकिनार कर दिया जाता है? कदाचित नए पड़ोसी, मित्र, या संबंधी के समक्ष पहले के जाने-परखे जन दोयम दर्जे के हो जाते हैं!
माना कि नई चीजों, फिजाओं और संबंधों के प्रति जैसे नामी रेस्तरां की फलां डिश, सरहद पार की गतिविधियों या दूसरों की बीवियां के लिए कौतुहल रहता है। इस आकर्षण की एक वजह खुशफहमी है कि नया सेट-अप मनभावन, हमारे अनुकूल होगा।
मुखौटा गिरा, राज खुलाः जो नए के मोहपाश में लिपटा-चिपटा न हो वह जानता है कि आवरण सत्य नहीं होता। फेसबुक में डाली गई 70 प्रतिशत से अधिक पोस्टें झूठी होती हैं। अकेले में प्रायः दुखी रहने पर नामी फिल्म अभिनेत्री अनन्या पांडेय ने हालिया एक इंटरव्यू में स्वीकार किया कि वास्तविक जिंदगी में वैसा स्वप्निल कभी नहीं घटता जिसे परदे पर दिखाने को वे विवश रहती हैं। दूर का सुरम्य पर्वत करीब जा कर कंटीले, रूखे पेड़ों में तब्दील हो जाता है। मुखौटे हैं कि कदाचित गिर जाते हैं और असल, घिनौना रूप प्रकट हो जाता है। सयानी सोच और दूरदर्शिता का तकाजा है कि बाहरी दर्शन और जगजाहिर व्यवहार से धारणा न बनाएं।
दूसरे की समृद्धि से उद्विग्न होने वाला सुख-चैन से नहीं जी सकता। दूसरों के बैंक बैलेंस या परिसंपत्ति पर टकटकी लगाना घिनौनी सोच दर्शाता है। बजाए इसके कि अपने पास क्या नहीं है, मनन इस पर होना चाहिए कि अपने पास क्या, कितना है। मनुष्य का मन और शरीर उसकी सबसे बड़ी संपत्ति है, इनके बूते सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है।
संतुष्टि सबसे बड़ी संपत्तिः संतुष्ट रहना एक आदत है, इसे पाल लें। संतुष्ट या असंतुष्ट रहना एक स्वभाव है। सब कुछ पा कर भी कुछ लोग संतुष्ट नहीं होंगे। वर्तमान की स्थिति से असंतुष्टि का अर्थ है अपने घर-परिवार तथा उन संस्थानों और व्यक्तियों के प्रति व्यक्ति में कृतज्ञता भाव नहीं है जिन्होंने लंबे समय आपका साथ बखूबी निभाया और जिनके बूते आप आज के मुकाम पर हैं। न भूलें, आपकी आज की स्थिति अनेक व्यक्तियों का स्वप्न है।
प्रयोगधर्मिता महान गुण हैः जो उपलब्ध है उससे संतुष्टि का अर्थ पुरातन में लिप्त रहना नहीं है। अतीत की घटनाओं, प्रसंगों, यादों में लिप्त रहेंगे या कटु अनुभवों को तरोताजा करते रहेंगे तो दुखी रहेंगे, दूसरों को दुखी करेंगे तथा आगामी कार्य निलंबित होंगे। आपको शेष जीवन भविष्य में बिताना है अतः आवश्यक गतिविधियों में चित्त लगाना होगा। पुरानी चाबी से नए ताले नहीं खुलेंगे। तेजी से बदलते परिवेश में बेहतर जीवन के लिए निरंतर नई युक्तियां तलाशना अनिवार्य है, अन्यथा जीवन में ठहराव आ जाएगा। प्रयोगधर्मिता श्रेष्ठ गुण है, यह तमाम नई उपलब्धियों का आधार भी है। इसके बावजूद पुरातन की सिद्ध तकनीकों और व्यवस्थाओं को खारिज कर देने की सोच बचकाना है।
नया चाहे दूसरे का हो या अपना, आकर्षित करता है। किंतु नई वस्तुओं, सेवाओं के समक्ष वर्तमान की भलीभांति चलती वस्तुओं की अवहेलना अनुचित है, अक्षम्य है। जिज्ञासा और कौतुहल सांसारिक उद्देश्यों के बदले आत्मिक उन्नयन, प्रकृति और जीवन को संचालित करते स्रोतों की बेहतर समझ की आकांक्षा से या जनहित के लिए हो तो जीवन धन्य हो जाता है।
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इस आलेख का पिछला, संक्षिप्त प्रारूप 29 दिसंबर 2023, शनिवार के दैनिक जागरण (संपादकीय पेज) के ऊर्जा कॉलम में ‘‘अभिनव बनाम पुरातन’’ शीर्षक से प्रकाशित हुआ।
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Bahut sunder blog! Issi tarha se apne gyan ki ke chhap samaj me prasarit karte rahen. Ane man ko jhakjhorte rahenge to apna hi bhalaa hoga.♥️♥️♥️
बहुत सुन्दर लेख। लेखक को कोटि-कोटि धन्यवाद।
यदि हमारी जीवन विचारधारा ऐसी ही हो जाए तब किसी भी प्रकार का विकार मन-मस्तिष्क में नहीं आयेगा और एक दिन धरा स्वर्ग हो जाएगी।
Uttam vichar ha. Purani cheezo ki kadar karna chahiye.
This is the real life. Most of us like to live like in filmy style. That brings pain the life. Everyone should lead a normal life. Real and happy life. Thanks Barthwal ji to show the mirror.